केंद्र सरकार की कोशिश है कि आटे की कीमत 30 रुपये किलो के आसपास या इससे नीचे ही रहें | लेकिन मौजूदा समय में देखें तो देश की कई मंडियों में गेहूं की बिक्री ही 50 रुपये प्रति किलो तक हुई है | हालांकि अधिकांश राज्यों में 35 से 40 रुपये के बीच गेहूं के भाव बने हुए हैं | इस हिसाब से देखें तो आटे की कीमत और अधिक है |
बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए केंद्र सरकार के स्तर से बड़ा कदम उठाया गया है | निजी कारोबारियों और फर्मां की मनमानी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने खुद ही आटा बेचने का निर्णय लिया है | केंद्र सरकार जिस आटे को बेचेगी. उसका नाम भारत आटा रखा गया है | इसकी कीमत 29.5 रुपये प्रति किलोग्राम होगी |
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के बयान अनुसार, केंद्रीय भंडार और नाफेड जैसी सहकारी समितियां 29.5 रुपये प्रति किलोग्राम आटा बेच सकेंगी | नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया 6 फरवरी से इतनी कीमत पर आटे को बेचना शुरू कर देंगी | सरकारी आउटलेट पर आसानी से इतनी कीमत पर आटा आम उपभोक्ता को मिल जाएगा |
एक रिपोर्ट के अनुसार, एक साल पहले आटे का अखिल भारतीय दैनिक खुदरा मूल्य 31.14 रुपये प्रति किलोग्राम था, जोकि बढ़कर अब 38 रुपये प्रतिकिलोग्राम से अधिक हो गया है | इसी भाव को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठाया है | बाजार में 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं उतारा गया है | केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से गेहूं की महंगाई काफी कम हो सकेंगी |