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रंग-बिरंगी मक्का उगाकर किसान भर सकते हैं अपनी जिन्दगी में मुनाफे के रंग

मक्का देश में कई रंगों में पाई जाती है| लाल, नीली, बैंगनी और काले रंग की मक्का की खेती भारत में प्रचलन में है| मक्का में फेनोलिक और एथोसायनिन तत्व पाए जाते हैं| इसी कारण मक्का अलग अलग रंग की होती है| मैजेंटा रंग पौधे में मौजूद एंथोसायनिन वर्णक के कारण होता है|

भारतीय राज्यों में मध्य प्रदेश और कर्नाटक में मक्का (15%) की खेती सबसे ज़्यादा क्षेत्र में होती है। इसके बाद महाराष्ट्र (10%), राजस्थान (9%), उत्तर प्रदेश (8%) और अन्य हैं। कर्नाटक और मध्य प्रदेश के बाद बिहार सबसे बड़ा मक्का उत्पादक राज्य है। भारत में, मक्का पारंपरिक रूप से मॉनसून (खरीफ़) में उगाया जाता है, जो उच्च तापमान (35 डिग्री सेल्सियस) और वर्षा के साथ होता है। हालांकि, समय और तकनीक के साथ, मक्का/मकई की सर्दियों की खेती एक विकल्प के रूप में उभरी है।

उत्तर-पूर्व के लोग लंबे समय से रंगीन मकई की इन किस्मों की खेती कर रहे हैं। ये मुख्य रूप से मिज़ोरम में पाई जाती हैं। ये स्थानीय लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। इनका उपयोग दैनिक खाना पकाने और पारंपरिक मिठाइयों में किया जाता है। हालांकि, रंगीन मक्के की खेती कर्नाटक में आदिवासी समुदायों द्वारा भी की जाती है।

मक्का की फसल उष्ण कटिबंधीय है| इसकी पैदावार 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान पर अच्छी होेती है| पौधों की रोपाई के समय हल्की नमी होनी चाहिए. यदि मिट्टी की बात करें तो इसके लिए बलुई दोमट मिटटी बेहतर है| विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बलुई दोमट मिटटी भी नहीं है तो इसे सामान्य भूमि पर भी उगाया जा सकता है|

विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं, धान, दलहन, तिलहन पारंपरिक फसलें हैं| यदि पारंपरिक फसलों से हटकर किसान कुछ करते हैं तो इससे कमाई बंपर हो सकती है| रंगीन मक्का की खेती भी ऐसी ही फसल है. इसे सूझबूझ कर किसान सालाना लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं|

 

 

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