गुड़ और खांडसरी शुगर पर अब 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। अधिसूचना के मुताबिक सभी प्रकार के गुड़ पर जीएसटी लागू किया गया है, जिसमे भी शामिल है। पूर्व-पैक, लेबल गुड़ और खांडसरी शुगर पर 5 प्रतिशत जीएसटी लागू होगा। यह 18 जुलाई 2022 से प्रभावी होगा।
गुड़ व क्रेशर कारोबारियों का कहना है कि गुड़ उद्योग पहले से ही मुश्किल हालात में है। यह निर्णय से उद्योग की परेशानी और बढ़ेगी। इसका असर खांडसारी शुगर उद्योग पर भी पड़ेगा। चीनी मिल के लिए वैक्यूम पेन की प्रकिया है, जबकि खांडसारी शुगर के लिए ओपन पेन की प्रकिया है जिसके चलते रिकवरी कम होती है। रिकवरी कम होने के बावजूद अब 5 प्रतिशत जीएसटी खांडसारी शुगर उद्योग की मुश्किलें और बढ़ा देगा।
इस धंधे को बढ़ावा देकर नया जीवन देने के लिए वर्ष 2018 में चीनी मिल एवं गन्ना विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेश राणा ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि गुड़ को बढ़ावा देकर किसानों की आमदनी बढ़ाने के मकसद से खांडसारी नीति में कई रियायतें दी गई हैं।
बताया गया कि अभी तक यह नियम था कि चीनी मिल से 15 किलोमीटर के दायरे में खांडसारी इकाई नहीं लगाई जा सकती। अब इसे घटाकर आठ किलोमीटर कर दिया गया है। गन्ना खरीद पर लाभकारी मूल्य के 0.5 प्रतिशत की दर से विकास शुल्क लिया जाता था। इसे खत्म कर दिया गया है। इसके अलावा अपने उपयोग के लिए गुड़ और राब बनाने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी।
खांडसारी उद्योग अब घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इसी कारण वर्तमान गन्ना पेराई सत्र में 142 क्रेशरों (खांडसारी इकाइयां) में से केवल 30 क्रेशर ही चल सके हैं। उद्यमियों का कहना है कि गन्ना और लेबर महंगा और गुड़ के दाम कम होने से क्रेशरों को चला पाना मुश्किल है। जो चले हैं वे भी बंदी की कगार पर हैं। क्रेशर मालिकों आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की नई खांडसारी नीतियों के कारण ऐसा हुआ है। जिसमें अब आबकारी और प्रदूषण विभाग की एनओसी लेना अनिवार्य किया है।