इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालगृहों की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने कहा है कि यूपी के बाल गृहों में रह रहे बच्चों को पौष्टिक आहार ही नहीं, बल्कि उन्हें सूरज की रोशनी, ताजी हवा की भी दरकार है। यहां की स्थिति जेलों से भी बदतर है।
यह मौलिक अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने कमियों को तुरंत दूर करने के लिए निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मामले की अगली सुनवाई पर महिला एवं बाल विकास विभाग यूपी के प्रमुख सचिव अवलोकन कर बच्चों की संख्या, बालगृहों की संख्या बताएं। साथ ही सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी व्यक्तिगत हलफनामा पर प्रस्तुत करें।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने सुधार के लिए कुल नौ बिंदुओं पर सुझाव दिए हैं। कहा है कि इनपर तुरंत अमल किया जाए। कोर्ट ने आदेश में बालगृहों का निरीक्षण करने वाले न्यायमूर्ति अजय भनोट का नाम भी दर्ज किया है।