पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, हापुड, अमरोहा, बागपत की तरह से सहारनपुर जिला भी गन्ना उत्पादक किसानों का जिला है। गेहूं और चावल के साथ दुग्ध उत्पादन में यह क्षेत्र हरियाणा को टक्कर देता है। चीनी मिलों की बहुताय वाले इन जिलों में हस्तशिल्प और खांडसारी के लिए गन्ना -क्रेशर के साथ गुड़ बनाने का कुटीर उद्योग भी है।
सहारनपुर जिला एक अग्रणी गन्ना उत्पादक जिलों में है। इस जिले के 5369 गन्ना किसानों के साल 2023-24 में 6.23 करोड रुपए का भुगतान “अनपेड” खाते में दर्ज था।
शुगर मिल में गन्ना सप्लाई करने के बाद समिति में बैंक खाता गलत दर्ज होने के चलते संबंधित अन्यकिसान का गन्ना मूल्य भुगतान नहीं हो पाता है। उनका गन्ना मूल्य समिति के खाते में ही रह जाता है जिसे अनपेड गन्ना मूल्य कहा जाता है। गन्ना विभाग के प्रयास के चलते अब तक जनपद के 4568 किसानों का भुगतान उनके खातों में कर दिया गया है। अभी भी 801 किसानों की तलाश जारी है। यह किसान गन्ना बेचने के बाद से ही गायब है।
मिली जानकारी अनुसार जिले में सहारनपुर कुल 543 गन्ना किसानों का बकाया 13.89 लाख रुपए,सरसावा के 31 किसानों का 3.81 लाख,ननौता के 159 किसानों का 32 लाख रुपया, बेहड़ तहसील के 50 गन्ना उत्पादकों का 65 लाख और देवबंद क्षेत्र के 18 किसानों के भुगतान को बैंक ने अनपेड खाते में दर्ज किया है ।
चीनी मिल में आपूर्ति करने के बाद इन किसानों का रुपया अनपेड खाते में था,जिसे लेकर गन्ना विभाग ने गन्ना पर्यवेक्षक को इन किसानों की तलाश करने के निर्देश दिए थे। गन्ना विभाग के प्रयास के चलते अब तक जिले के 4568 किसानों का 6.41 करोड रुपए अनपेड गन्ना मूल्य का भुगतान संबंधित किसानों या उसके वारिस के खाते में कर दिया गया है।