इस बार गरमी ने अपनी तेजी दिखाकर किसानो को खेती का तौर तरीका बदलने का इशारा दे दिया है| मौसम-चक्र का असर फूलों से लेकर फलों की मिठास तक पर पड़ा है|
जून का महीना बरसात का संदेश लेकर आता है| जून महीने में अलग इलाको के कृषि जानकारों ने अच्छी पैदावार के लिये कुछ जानकारी देकर किसानो को जागरूक किया है|
धान की महीन किस्मों की प्रति हेक्टेयर बीज दर 30 किग्रा, मध्यम के लिए 35 किग्रा, मोटे धान हेतु 40 किग्रा तथा ऊसर भूमि के लिए 60 किग्रा पर्याप्त होता है, जबकि संकर किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।
मक्का की बोआई 25 जून तक पूरी कर लें। यदि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो बोआई 15 जून तक कर लेनी चाहिए।
संकर मक्का की शक्तिमान-1, एच.क्यू.पी.एम.-1, संकुल मक्का की तरूण, नवीन, कंचन, श्वेता तथा जौनपुरी सफेद व मेरठ पीली देशी प्रजातियाँ हैं।
संकर प्रजातियों के लिए प्रति हेक्टेयर 18 से 20 किलोग्राम संकुल प्रजातियों के लिए 20 से 25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है ।
ज्वार की बुवाई जून के अंतिम सप्ताह में करें।
ज्वार के लिए प्रति हेक्टेयर 12 से 15 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
ज्वार की प्रमुख उन्नत किस्में वर्षा, सीएसबी-13, सीएसबी-15, सीएसएच-5, सीएसएच-9, सीएसएच-14 और सीएसएच-16 हैं।
जायद में बोई गई सूरजमुखी व उर्द की कटाई मड़ाई का कार्य तथा मूँग की फलियों की तुड़ाई का कार्य 20 जून तक अवश्य पूरा कर लें।
अरहर की उन्नत किस्मों में प्रभात व यू.पी.ए.एस.-120 शीघ्र पकने वाली तथा बहार, नरेंद्र अरहर-1 व मालवीय अरहर-15 देर से पकने वाली अच्छी किस्में है।
अरहर की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 12-15 किग्रा बीज पर्याप्त होता है। अरहर के बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के बाद ही बोना चाहिए।
जून माह में आप बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की पौध लगा सकते हैं। भिंडी की बुवाई का भी ये उपयुक्त समय है। इसके अलावा लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, आरा तोरी, करेला व टिंडा की बुवाई भी इस माह की जा सकती है। भिंडी की उन्नत किस्मों में परभनी क्रांति, आजाद भिंडी, अर्का अनामिका, वर्षा, उपहार, वी.आरओ.- 5, वी.आर.ओ.-6 व आई.आई.वी.आर.-10 भिंडी की अच्छी किस्में मानी जाती है।