tag manger - पंजाब : 900 करोड़ की लागत से लगेंगे 12 दुग्ध संयंत्र – KhalihanNews
Breaking News

पंजाब : 900 करोड़ की लागत से लगेंगे 12 दुग्ध संयंत्र

पंजाब के किसानों की आय वृद्धि में मदद करके उनको वित्तीय संकट से उबारने के लिए राज्य में एक और श्वेत क्रांति लाने के लिए राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने विशेष पहल की है। बोर्ड ने पंजाब में 12 दूध संयंत्रों की स्थापना करने में पंजाब सरकार के प्रयास को सहयोग देने का आश्वासन दिया है। इसमें लगभग 900 करोड़ रुपये का अनुमानित परिव्यय शामिल है।

इसको लेकर पंजाब सरकार के पशुपालन, डेरी विकास और मत्स्यपालन मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के साथ डेरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष मीनेश शाह ने चर्चा की। शाह ने कहा कि बोर्ड अब पंजाब सरकार के साथ मिलकर काम करेगी और आवश्यक वित्तीय और तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराने की व्यवस्था करेगी। चूंकि राज्य के 6,000 गांवों में पहले से ही 11 दूध संयंत्र संचालित हैं । इस प्रकार, यह संख्या बढ़कर 23 हो जाएगी और इसके जरिए कुल 12,000 गांवों को कवर किया जा सकेगा । इससे प्रतिदिन अतिरिक्त 10 लाख लीटर दूध का संकलन करने में मदद मिलेगी।

इस दौरान अध्यक्ष मीनेश शाह ने पंजाब में दुग्ध प्लांट स्थापित करने के लिए राज्य सरकार के साथ काम करने की सहमति जताई है| जिसके तहत नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड 900 करोड़ रुपये खर्च करेगा, तो वहीं पंजाब को आवश्यक वित्तीय और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा| मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में शुरू किए जाने वाले इन 12 नए दुग्ध प्लांटों से प्रतिदिन 10 लाख लीटर अतिरिक्त दूध की खरीद में मदद मिलने की उम्मीद है|

अमृतसर में चारे के लिए लगाए जाएगा प्लांट

पंजाब सरकार और नशनल डेयरी डवलपमेन्ट बोर्ड के बीच दुग्ध प्लांट स्थापित करने के साथ ही अन्य कई विषयों पर सहमति बनी है. जिसके तहत नेशनल डेयरी डवलप बोर्ड के सहयोग से पंजाब सरकार अमृतसर में चारे के लिए प्लांट लगाएगी| कुल मिश्रित राशन (टीएमआर) प्लांट प्रदूषण की समस्या को दूर करने के साथ ही डेयरी किसानों को सस्ता चारा उपलब्ध कराएगा| इसके लिए 80 करोड़ रुपये अनुमानित बजट निर्धारित किया गया है| असल में इस तरह के प्लांट राजस्थान के गंगानगर और महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थापित किए गए हैं, जो सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं| इससे फसल अवशेष जलाने की समस्या से भी निजात मिलेगी|

इसके साथ ही अध्यक्ष मीनेश शाह ने पंजाब सरकार को राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) करनाल की तर्ज पर राज्य में डेयरी में शिक्षा प्रदान करने के लिए एक समान संस्थान विकसित करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार करने में सहायता का आश्वासन दिया है|

About admin

Check Also

गोरखपुर में बन से संबंधित पढ़ाई के लिए डिग्री और डिप्लोमा के पाठ्यक्रम की आवश्यकता के अनुरूप विभिन्न पदों पर युवाओं को नौकरी भी मिल सकेगी। साथ ही यह फॉरेस्ट्री को विकसित करने और वन संरक्षण का बड़ा माध्यम भी बनेगा। सीएम योगी शुक्रवार को गोरखपुर वन प्रभाग के कैम्पियरगंज रेंज के भारीवैसी में स्थापित दुनिया के पहले जटायु राजगिद्ध (रेड हेडेड वल्चर) संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र’ का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस केंद्र के निर्माण में योगदान देने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जब विकास प्रकृति और पर्यावरण को बचाकर किया जाएगा, तभी वह सतत विकास होगा। लंबे समय तक उसका लाभ मिलेगा। प्रकृति और पर्यावरण की कीमत पर होने वाला विकास क्षणिक और खतरनाक होता है। इसके दूरगामी परिणाम होते हैं। गिद्धराज जटायु के रामायणकालीन आख्यान का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पेस्टीसाइड के दुष्प्रभाव से पर्यावरण के संरक्षक गिद्धों की संख्या तेजी से घटी है। उनके संरक्षण के लिए यूपी और भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का पहला संरक्षण केंद्र कैम्पियरगंज में खोला गया है। खुशी की बात यह भी है कि इस केंद्र में वनटांगिया समुदाय के लोग भी केयरटेकर के रूप में नौकरी से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति और इसके जीवों को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज हम जटायु संरक्षण केंद्र के माध्यम से अपनी वैदिक और पौराणिक परंपरा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं। गिद्धराज जटायू धर्म और नई गरिमा की रक्षा के लिए रामायण काल के पहले बलिदानी थे। उन्होंने सीताजी के दुखभरे वचन को सुनकर ही जान लिया था कि यह आवाज रघुकुल तिलक श्रीराम की अर्धांगिनी का है। गिद्धराज जटायु राजा दशरथ के मित्र थे। मित्रता निभाने और नारी गरिमा की रक्षा के लिए वे निहत्थे ही रावण से भिड़ गए और खुद को बलिदान कर दिया। रामायण से हमें मित्रता, नारी गरिमा, मर्यादा, अनुशासन और वचन रक्षा की प्रेरणा मिलती है। आज के कालखंड में भी पर्यावरण की शुद्धि के लिए जो कार्य जटायु के वंशजों द्वारा किया जाता है, वह अविस्मरणीय है। जटायु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए, रामायणकालीन उनकी स्मृतियों को बनाए रखने के लिए अयोध्या में राम मंदिर के सामने गिद्धराज जटायु की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है और अब यह जटायु संरक्षण केंद्र भी उसी की कड़ी है। इस अवसर पर वन, पर्यावरण एवं जंतु उद्यान राज्य मंत्री केपी मलिक, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, विधायक विपिन सिंह, डॉ. विमलेश पासवान, प्रदीप शुक्ल, एमएलसी एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, फरेंदा के पूर्व विधायक बजरंगी सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इस जटायु संरक्षण केंद्र का शिलान्यास भी मुख्यमंत्री ने 7 अक्टूबर 2020 को किया था। राजगिद्ध जटायु की गाथा तो रामायण काल से ही सभी जानते हैं लेकिन पर्यावरणीय खतरे के चलते जटायु के वंशजों के अस्तित्व पर ही संकट आ गया। योगी सरकार ने इस संकट को दूर करने का संकल्प लिया है।

पहला फॉरेस्ट्री कॉलेज गोरखपुर में, डिप्लोमा कोर्स से युवाओं को मिलेगी की नौकरी

गोरखपुर में बन से संबंधित पढ़ाई के लिए डिग्री और डिप्लोमा के पाठ्यक्रम की आवश्यकता …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *