खेती में पानी बचाकर भू-जल स्तर को बनाये रखना जल संरक्षण है | जल संरक्षण, मुख्यमंत्री मनोहर लाल की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। ‘मेरा पानी- मेरी विरासत’ योजना के तहत धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लगाने वाले किसानों को सात हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके अलावा खेती खाली-फिर भी खुशहाली योजना के तहत कोई भी फसल नहीं बोने वाले किसानों को भी प्रति एकड़ सात हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में धान की खेती पर हमेशा से चिंता रही है| इसकी वजह इस फसल को पैदावार के लिए काफी पानी की जरूरत होती है, जिससे इन राज्यों में जल की कमी हो जाती है| एक किलो चावल को पैदा करने के लिए 2,000-5,000 लीटर पानी लगता है|
योजना के पहले चरण में राज्य के वैसे 19 ब्लॉक को शामिल हैं जहां भूजल स्तर 40 मीटर से भी नीचे सरक गया है| हालांकि इनमें से 8 ब्लॉक में ही धान की खेती होती है. सरकार चाहती है कि इस बार धान की बुआई पिछले खरीफ सीजन (1.8 लाख हे.) के मुकाबले आधे रकबे में ही हो| इसके लिए राज्य सरकार मक्का और दलहन जैसी फसलें उगाने पर उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने और बूंद सिंचाई तकनीक अपनाने पर 85 फीसद सब्सिडी भी देने को तैयार है|
हरियाणा सरकार ने हाल ही में इस स्कीम का एलान किया है और कहा कि वह किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ देगी जिससे उन्हें उन फसलों की खेती करने के लिए बढ़ावा मिलेगा जिसमें कम पानी खर्च होता है जैसे मक्का और दालें| सरकार ने यह भी कहा कि वह मक्का और दालों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज भी खरीदेगी, जिससे इन फसलों की खेती करने में मदद मिलेगी|
भूमिगत जल और उसके रिचार्ज के मामले में हरियाणा बहुत फिसड्डी है| यह राज्य हर साल रिचार्ज होने वाली 100 भूजल इकाइयों के मुकाबले 137 इकाइयां खींच लेता है| सीजीडब्ल्यूबी की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में पेयजल का 95 फीसद और सिंचाई का 61 फीसद हिस्सा भूजल के दोहन पर आधारित है| अमित कहते हैं, ”स्थिति खतरनाक है. हरियाणा और पंजाब में अधिकतर इलाके डार्क जोन में आ गए हैं|”