केन्द्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ एक महत्वाकांक्षी योजना है। राज्य सरकारें भी इस योजना को किसानों के हित में बताते हुए योजना के लाभ गिनाकर किसानों को प्रेरित करती हैं। किसानों के 2761 करोड़ के फसल बीमा दावे लंबित हैं।
यह जानकारी देते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में बताया कि उपज के आंकड़े जारी करने में देरी, सरकारों द्वारा प्रीमियम सब्सिडी में अपना हिस्सा चुकाने में देरी और बीमा कंपनियों व राज्यों के बीच उत्पादन के आंकड़ों में फर्क मिलने के बाद हुए विवादों की वजह से भी कई मामले लंबित हैं।
श्री तोमर ने बताया कि जिन राज्यों में किसानों को इस योजना के तहत मुआवजा नहीं मिला है उनमें राजस्थान के किसानों को 1387.34 करोड़ रुपये,महाराष्ट्र के किसानों को 336.22 करोड़ रुपये,गुजरात के किसानों के 258.87 करोड़ रुपये,कर्नाटक के किसानों के 132.25 करोड़ रुपये और लगातार दूसरे साल भी सूखे का सामना कर रहे झारखंड के किसानों के 128.24 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जाना है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि उपज के आंकड़े जारी करने में देरी, सरकारों द्वारा प्रीमियम सब्सिडी में अपना हिस्सा चुकाने में देरी और बीमा कंपनियों व राज्यों के बीच उत्पादन के आंकड़ों में फर्क मिलने के बाद हुए विवादों की वजह से भी कई मामले लंबित हैं। उन्होंने बताया कि पीएमएफबीवाई को लागू करते समय कुछ बीमा कंपनियों द्वारा भुगतान न करने या देरी से भुगतान की शिकायतें सामने आई थीं। इनका उचित निस्तारण किया गया है।
इसी चर्चा के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि आठ राज्यों में लगभग 4.09 लाख हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया गया है, जिसमें आंध्र प्रदेश अग्रणी है। मंत्री ने कहा कि आठ राज्य आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और तमिलनाडु हैं।
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