गुजरात और राजस्थान को मूंगफली के बड़े उत्पादक राज्य के तौर पर देखा जाता है, लेकिन इस बार गुजरात राज्य में मूंगफली की बुवाई में 10 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है| गुजरात-सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल सिर्फ 17.08 हेक्टेयर जमीन पर मूंगफली की बुवाई का कम हुआ है| वहीं पिछले साल राज्य में यह आंकड़ा 19.09 हेक्टेयर से अधिक था| इन रुझानों के पीछे जलवायु परिवर्तन बड़ा कारक है|
दरसअल गुजरात राज्य में मूंगफली की अगेती बुवाई के कारण ज्यादातर फसलों में पत्ती छेदक रोग का संकट बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण इस साल मूंगफली के उत्पादन में कमी और कीमतों में उछाल देखा जायेगा|
कारोबारियों की मानें तो चीन में मूंगफली के तेल की अधिक खपत होती है, लेकिन इस साल चीन सूखा का सामना कर रहा है, जिसके चलते भारत समेत दूसरे देशों से मूंगफली तेल का आयात करने के आसार नजर आ रहे हैं| वहीं ज्यादातर राज्यों में मूंगफली की बुवाई में भी कमी दर्ज की गई है, जिसके कारण उत्पादन में 10 से 15 फीसदी की कमी और आने वाले सीजन में मूंगफली के दामों में बढ़ सकते हैं|
इन राज्यों में कम बुवाई
राजस्थान और गुजरात के अलावा भारत के दक्षिणी राज्यों में मानसून के दौरान सिर्फ 20 प्रतिशत तक ही मूंगफली की बुवाई का काम हो पाया| यहां कर्नाटक में सिर्फ 35 प्रतिशत क्षेत्र में मूंगफली की बुवाई का काम हुआ है| वहीं गुजरात और राजस्थान में भी करीब 2 लाख हेक्टेयर कम जमीन पर बुवाई हुई है| इसके पीछे मूंगफली की फसल पर जलवायु परिवर्तन की मार और पत्ती छेदक रोग का बढ़ता प्रकोप मुख्य कारण है, जिसके कारण उत्पादन और उत्पादकता काफी गिर जाती है|
तेल की कीमतें भी बढेंगी
जाहिर है कि दशहरा-दिवाली जैसे त्यौहारों के बीच ज्यादातर खाद्य तेलों के दाम कम हो गये हैं, लेकिन मूंगफली का उत्पादन कम होने के कारण इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों को ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ सकता है| खासकर सर्दियों में मूंगफली की खपत काफी बढ़ जाती है, उस दौरान इसकी कीमतों में भी तेजी आ सकती है| रिपोर्ट्स की मानें तो वर्तमान में मूंगफली तेल को 3000 रुपए प्रति 17 लीटर कीमत के हिसाब से बेचा जा रहा है, जो सालों के मुकाबले काफी ज्यादा है| आने वाले समय में इसका सीधा असर किसानों और आम जनता पर पडेगा|