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हिमाचल प्रदेश : बारिश से 1000 करोड़ की सेब की फसल खराब, पेड़ के फल नहीं बागवान टूट गये

हिमालयी सूबों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इस साल बारिश ने कहर बरपाया है। बादल फटने से जहां बाढ़ की वजह घर और बाग तबाह हुए। मकान ढह गये। फलों के बाग बर्बाद होने से बागवानों को अब रोजी-रोटी की चिंता सता रही है। सरकारी अनुमान के मुताबिक करीब सौ करोड रुपए की सेब की फसल बर्बाद होने से बेरोजगारी का संकट होने से मजदूर चिन्तित हैं।

सेब की फसल हिमाचल की आर्थिकी से जुड़ी है। फसल अच्छी तो त्योहारों में उमंग और उत्साह, बाज़ारों में रौनक । शादियों में रंगत। बारिश ने सेब उत्पादकों का सबसे ज्यादा नुकसान किया है। पहली जून से 15 अगस्त तक सूबे में 732.1 मिमी बारिश हुई, जो कि सीजन की सामान्य बारिश से 45% ज्यादा है। इससे बागानों में तैयार हो रहे सेब गिर गए और धूप न निकलने से उनका साइज छोटा हो गया।

हिमाचल प्रदेश सालाना 3 से 4 करोड़ पेटी (बॉक्स) सेब उत्पादन करता है। हर बॉक्स का वजन 24 से 28 किलो तक होता है। इस बार एक से 1.50 करोड़ बॉक्स बनने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था में सेब की सालाना हिस्सेदारी 5 से 6 हजार करोड़ रु. की है। इस बारिश से करीब 1000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है।

लगातार तीन महीने की बारिश के बाद फिर शुरू हुई बारिश ने हिमाचल के कई हिस्से बर्बाद कर दिए हैं। यहां बीते एक हफ्ते में मानसून सामान्य कोटे से 103% ज्यादा बरसा है। दो महीने में लैंडस्लाइड की 112 तो बादल फटने की 4 से 5 घटनाएं हुईं। इससे 7200 करोड़ की अचल संपत्तियां बर्बाद हो गईं। 327 लोगों की जान चली गई, 1762 घर जमींदोज हो गए। राज्य सरकार ने पहली बार हुए इतने बड़े नुकसान के लिए केंद्र को ~6600 करोड़ का प्रस्ताव भेजा है। इससे पहले सर्वाधिक नुकसान का आंकड़ा 2500 करोड़ रु. था। राज्य में 950 सड़कें बंद हैं, इसलिए शिमला, अपर शिमला, कुल्लू, मनाली, लाहौल स्पीति, चंबा, किन्नौर के कई हिस्सों में दूध, खाद्य पदार्थों की सप्लाई नहीं हो पा रही है।

हिमाचल प्रदेश में बारिश का असर पंजाब तक आता है। पहाड़ से बहकर पानी पंजाब की नदियों को ख़तरे के निशान तक पहुंचा देता है। इस बार करीब पैंतीस साल बाद भाखड़ा नांगल बांध के दरवाजे खोलने से पंजाब में नदियों का पानी खेतों और गांव में शरण ले रहा है। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते भाखड़ा बांध में पानी का स्तर तय लेवल के करीब आते ही बांध के गेट खोले गए हैं और इनको अगली 18 अगस्त तक खोले रखा जाएगा। इसी वजह से पंजाब के आठ जिलों, होशियारपुर, रोपड़, गुरदासपुर, कपूरथला, फिरोजपुर, फाजिल्का, अमृतसर, तरनतारन में फिर बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। सूबे की सरकार ने बाढ़ सुरक्षा दलों तथा सेना को चौकस रहने को कहा है।

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