टमाटर की कीमत दो सौ रुपए पार होने से रसोई का बजट और लोगों का ज़ायका बिगड़ गया है। मौसम की बेरुखी से अब प्याज के दाम भी अभी से बेचैनी बढ़ा रहे हैं। आटा, चावल के साथ रसोई में रोजाना काम आने वाली चीजें आम नागरिक को परेशानी में डाल रही है। ख़ैर भाजपाई दलों के लिए यह महंगाई चुनावी मुद्दा है।
सब्जी मंडी में खुदरा प्याज अभी 30 रुपए प्रति किलो है। कारोबारियों का कहना है प्याज इस साल 70 रुपए तक बिकेगा।
जनता के भार को कम करने के लिए 3 लाख मीट्रिक टन के बफर स्टॉक से प्याज जारी करने का फैसला किया है। सब्जियों की बढ़ती लागत के बीच प्याज की कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने इसी 11 अगस्त को मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के हिस्से के रूप में इस साल बनाए गए 300,000 टन के बफर से प्याज जारी करने का फैसला किया है। प्याज की कीमतों में दो साल की स्थिरता के बाद, मंडियों में रिकॉर्ड आवक के बावजूद हाल के हफ्तों में प्याज की कीमतें बढ़ती दिखाई दी।
इस साल प्याज सीजन के शुरुआत में ही बे-मौसम बारिश से महाराष्ट्र व प्याज उत्पादक राज्यों में पैदावार बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इसका सीधा असर बाज़ार पर पड़ा है।महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में प्याज की कीमतें एक सप्ताह पहले के ₹1,370 से बढ़कर ₹1,700 प्रति क्विंटल (100 किलोग्राम) हो गईं। उपभोक्ता मामले के मूल्य निगरानी प्रभाग के आंकड़ों के अनुसार, खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें जनवरी में अखिल भारतीय औसत कीमत ₹26 से बढ़कर 11 अगस्त को लगभग ₹30 प्रति किलोग्राम हो गईं। महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज की एशिया में सबसे बड़ी मण्डी है।
सरकार ने राज्यों को उनके उपभोक्ता सहकारी समितियों और निगमों की खुदरा दुकानों के माध्यम से बिक्री के लिए रियायती दरों पर प्याज की पेशकश करने का निर्णय लिया। चालू वर्ष में बफर के लिए कुल 300,000 टन प्याज की खरीद की गई है, जिसे स्थिति के आधार पर और बढ़ाया जा सकता है। ई-नीलामी के माध्यम से निपटान और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर खुदरा बिक्री का भी पता लगाया जा रहा है। उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर प्याज उपलब्ध कराने और प्याज की कीमत में स्थिरता लाने का प्रयास किया जा रहा है।
साल में दो बार प्याज की फसल काटी जाती है। दो केंद्रीय नोडल एजेंसियों, नाफेड और एनसीसीएफ ने जून और जुलाई के दौरान महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से 150,000 टन रबी प्याज की खरीद की थी। देश के कुल प्याज उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 43% है, इसके बाद मध्य प्रदेश की 15%, कर्नाटक की 9% और गुजरात की 9% हिस्सेदारी है। प्याज के थोक कारोबारी कह रहे हैं कि पैदावार कम होने से कीमतों पर असर पड़ना स्वाभाविक है।