बीजेपी शासित राज्य गुजरात और मध्य प्रदेश में खेतिहर मजदूरों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है| इन दोनों राज्यों के ग्रामीण इलाकों में खेतिहर मजदूरों को देश में सबसे कम भुगतान किया जा रहा है| खास बात यह है कि केरल में खेतिहर मजदूरों को सबसे अधिक दिहाड़ी मजदूरी मिलती है| भारतीय रिज़र्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष खेतिहर मजदूरों को केवल 217.8 रुपये रोज की दिहाड़ी मिलती है| वहीं, गुजरात जैसे समृद्ध राज्य में यह आंकड़ा महज 220.3 रुपये ही है| गौरतलब है, दोनों राज्यों में दैनिक मजदूरी राष्ट्रीय औसत 323.2 रुपये से भी कम है|
अगर गुजरात में एक मजदूर को महीने में 25 दिन काम मिलता है, तो उसकी मासिक कमाई लगभग 5,500 रुपये होगी, जो चार या पांच लोगों के परिवार के खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है|वहीं, केरल में खेतिहर मजदूरों की स्थिति काफी अच्छी है| यहां पर खेतिहर मजदूरों को देश भर में सबसे अधिक 726.8 रुपये दिहाड़ी मजदूरी के रूप भुगतान किया जा रहा है| ऐसे में अगर केरल का एक मजदूर महीने में 25 दिन भी काम करता है तो वह औसतन 18,170 रुपये कमा लेगा, जो कि गुजरात से काफी अधिक है| यही वजह है कि केरल में उच्च मजदूरी ने अन्य खराब भुगतान वाले राज्यों के कृषि श्रमिकों को आकर्षित किया है| यहां पर लगभग 25 लाख प्रवासी श्रमिक काम कर रहे हैं|
मध्य प्रदेश में एक खेतिहर मजदूर का मासिक वेतन लगभग 5,445 रुपये है| इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी खेतिहर मजदूरों के हालात अच्छे नहीं हैं. यहां पर 2021-22 में औसत दैनिक मजदूरी 270 रुपये थी| जबकि, महाराष्ट्र 284.2 और ओडिशा 269.5 रुपये खेतिहर मजदूरों को दिहाड़ी दे रहा है| वहीं, जम्मू और कश्मीर में खेतिहार मजदूरों को प्रति व्यक्ति औसतन 524.6 रुपये दिहाड़ी मिल रही है. हिमाचल प्रदेश में यह आंकड़ा 457.6 रुपये है तो तमिलनाडु में 445.6 रुपये प्रति व्यक्ति मजदूरी है|
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, पुरुष गैर-कृषि श्रमिकों के मामले में, मध्य प्रदेश में सबसे कम 230.3 रुपये औसत वेतन है| वहीं, गुजरात के श्रमिकों को 252.5 रुपये औसत मजदूरी मिलती है| जबकि, त्रिपुरा में 250 रुपये का दैनिक वेतन मिल रहा है. ये सभी राष्ट्रीय औसत 326.6 रुपये से कम हैं| दूसरी ओर, केरल फिर से गैर-कृषि श्रमिकों के वेतन में 681.8 रुपये प्रति व्यक्ति के साथ सबसे आगे हैं| मार्च 2022 को समाप्त वर्ष के लिए केरल के बाद जम्मू-कश्मीर 500.8 रुपये, तमिलनाडु 462.3 रुपये और हरियाणा 409.3 रुपये था|
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण निर्माण श्रमिकों के लिए दैनिक वेतन केरल में 837.7 रुपये, जम्मू-कश्मीर में 519.8 रुपये, तमिलनाडु में 478.6 रुपये और हिमाचल प्रदेश में 462.7 रुपये था| क्रिसिल के एक अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण आय की संभावनाएं मौसम की अनिश्चितताओं पर निर्भर रहती हैं| अतिशय मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति, इसलिए, एक प्रमुख निगरानी योग्य बनी हुई है| जबकि मनरेगा नौकरियों की मांग में कमी नौकरी के नजरिए से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक उत्साहजनक संकेत है, कम मजदूरी ग्रामीण मांग के लिए चिंता का विषय है|