बांदा कॄषि विश्वविद्यालय की आबोहवा और मिट्टी की सेहत को लेकर हुए कई शोध के बाद चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। अब बुन्देलखण्ड क्षेत्र में ऐसे फल-फूल भी उगाये जा सकते हैं, जिनकी बाज़ार में किसानों को बेहतर कीमत मिलती है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
विश्वविद्यालय के विषय विशेषज्ञ डॉ अखिलेश कुमार श्रीवास्तव के अनुसार ड्रैगन फ्रूट जो कि काफी महंगे बिकते हैं। इसे लेकर किये गये शोध में बढ़िया नतीजे मिले हैं।
बुंदेलखंड के किसान एक हेक्टेयर में ड्रैगन फ्रूट के 555 पौधे लगा सकते हैं। हर पौधे से 40 से 50 किलो ड्रैगन फ्रूट मिल जाता है। इस फसल में एकबार ही लागत आती है। पहली बार तकरीबन 15 सौ रुपए प्रति पौधे का ख़र्च आता है। बस इसकी सालाना देखरेख की आवश्यक्ता है और ये कई दशक तक फल देते हैं।
इसी प्रकार टीशू कल्चर से खजूर के पौधों पर भी शोध किया गया है। बुंदेलखंड इलाके में बीजों से खजूर रोपने से उसमें 12 से 15 साल बाद फल उगते हैं, मगर शोध में ये अवधि घटकर 4 साल हो गई है। खजूर के फलों से छुहारा बनाकर किसान अपनी आमदनी में कई गुना का इजाफा कर सकते हैं।
अंजीर जोकि सबसे महंगा ड्राई फ्रूट है, उसे भी अब बुंदेलखंड में उगाया जा सकता है। तीन साल में अंजीर का पौधा फल देने लगता है। प्रति पौधा 12 किलो तक अंजीर पैदा किया जा सकता है। चूंकि अंजीर एक जल्दी खराब होने वाला फल है ।इसके प्रसंस्करण की जरूरत पड़ती है। शोध में पाया गया कि अंजीर के लिए बुंदेलखंड की जलवायु उपयुक्त है।
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