गेहूं की आवक में कमी और एजेंसियों द्वारा खाद्यान्न की खरीद में भारी गिरावट से इस सीजन में करीब 7,200 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है|
पिछले साल के 133.28 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 5 मई को कुल गेहूं की आवक 100.72 लाख मीट्रिक टन थी| इस वर्ष 32.56 लाख मीट्रिक टन (32,56,000 क्विंटल) गेहूं की कमी अभूतपूर्व उच्च तापमान के कारण कारण हुई है| बदले हुए हालात ने केवल किसानों की आय में सेंध नहीं लगाई, बल्कि पंजाब मंडी बोर्ड, मजदूरों और ट्रांसपोर्टरों को भी राजस्व का काफी नुकसान होने की संभावना है|
मंडी सूत्रों के अनुसार एक क्विंटल गेहूं एक किसान को 2,015 रुपये, पंजाब मंडी बोर्ड को 120.9 रुपये, एक आढ़ती को 45.83 रुपये, एक मजदूर को 24.58 रुपये और एक ट्रांसपोर्टर को 27.81 रुपये भंडारण की सुविधा देता है|
एक रिपोर्ट के मुताबिक 32.56 लाख मीट्रिक टन गेहूं की कमी के मद्देनजर किसानों को 6,560 करोड़ रुपये, पंजाब मंडी बोर्ड को 394 करोड़ रुपये बाजार समिति शुल्क और ग्रामीण विकास कोष (आरडीएफ), आढ़तियों को 149 करोड़ रुपये, ट्रांसपोर्टरों को 90.5 करोड़ रुपए और मजदूरों को 80 करोड़ रुपए नुकसान होने का अनुमान है|
राज्य सरकार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को उपज की बिक्री पर ग्रामीण आरडीएफ और मंडी शुल्क के रूप में प्रत्येक से 3 प्रतिशत शुल्क लेती है| यह राज्य के लिए एक बहुत बड़ा वित्तीय नुकसान है, जो पहले से ही एक बड़े वित्तीय संकट से जूझ रहा है| ऐसा भी कहा जा रहा है कि कुछ बड़े किसानों ने गेहूं का भंडारण किया है| उन्हें बाद में कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक मांग अधिक है|