tag manger - सफल महिला किसान-4 : कीटनाशक के बिना फसलों को दीमक से बचाने की खोज – KhalihanNews
Breaking News

सफल महिला किसान-4 : कीटनाशक के बिना फसलों को दीमक से बचाने की खोज

राजस्थान की एक महिला किसान अपने अनोखे तरीके से दीमक से खेतों की फसल को बचाती हैं और इसके लिए उन्हें कृषि वैज्ञानिक सम्मान के तहत ₹50000 नगद पुरस्कार दिया जा चुका है और भारत के अलावा विदेशी पाठ्यक्रम में भी उनका नाम आ चुका है।

राजस्थान के सीकर के दांतारामगढ़ की भगवती देवी की, जिन्हें कृषि वैज्ञानिक सम्मान और कृषि प्रेरणा सम्मान के तहत ₹50000 से सम्मानित किया गया है।

भगवती देवी के अनोखे तरीके के लिए उन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया गया है। दरअसल भगवती देवी अपने अद्भुत अनुसंधान के जरिए फसलों को दीमक से बचाने का एक अनोखा तरीका इजाद किया है।

भगवती देवी बताती हैं कि उनके खेत में अरडू,वेल, खेजड़ी, नीम, सफेदा, बबूल, शीशम आदि के पेड़ पौधे लगे हुए हैं। खेत की मेड़ों पर पड़ी लकड़ियों पर अक्सर दीमक लग जाया करते हैं।

ये दीमक फसलों को भी बर्बाद कर देते हैं। बात 2004 की है एक दिन उन्होंने देखा कि सफेदा (यूकेलिप्टस) की लकड़ी पर खूब सारे दीमक लगे हुए हैं।

तब भगवती देवी के मन में एक सवाल आया कि यह दिमाग सफेदे की लकड़ी को ही इतनी चाव से क्यों खा रहे हैं। तब उन्हें एक आइडिया आया।

उन्होंने सोचा कि क्यों न फसलों के बीच में सफेदे की लकड़ियों को रख कर देखा जाये। जब उन्होंने फसलों के बीच बीच में सफेदे के लकड़ियाँ रख दी तो देखा कि दीमक फसलों को छोड़कर सफेदे की लकड़ियां खाने लगे हैं और इस तरह फसल दीमक से बर्बाद होने से बच गई।

अक्सर होता है कि बाद में बोई गई फसल पर दीमक ज्यादा असर करते हैं और उन्हें चट कर जाते हैं। इसलिए उन्होंने अपने खेत में गेहूं की फसल उस साल देर में बोई और फसल के बीच में सफेदे की लकड़ियाँ रख दी और फिर देखा दीमक फसलों को छोड़कर सफेदे की ही लकड़ी को खंगालने में जुटे हुए थे।

तब भगवती देवी के दिमाग में एक और सवाल आया कि कही केचुए की तरह ही दिमाग भी तो मिट्टी को उर्वरक बनाने का काम तो नही करते और उनकी यह बात सच निकली और उन्हें अपनी समझदारी पर गर्व के साथ हैरानी भी हुई।

भगवती देवी द्वारा इजाद किए गए इस अनोखे तरीकों की हर जगह चर्चा होने लगी। इसकी सच्चाई जानने के लिए राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (बीकानेर) के कृषि अनुसंधान निदेशक डॉ एमपी साहू भगवती देवी के खेत में पहुंचे।

उस समय Bhagwati Devi के खेत में मिर्ची लगी हुई थी और फसल के बीच में सफेदे की लकड़ियां रखी गई थी। बाद में डॉ साहू ने भगवती देवी के इस अनोखे तरीके को कृषि अनुसंधान केंद्र पर भी आजमाया और उनका प्रयोग सफल रहा।

इसके बाद उन्होंने इस बात की जानकारी प्रदेश के कृषि विभाग के उच्च अधिकारियों को भी दी। इसके बाद फिर से अजमेर के एडवोकेट ट्रायल सेंटर में इसका परीक्षण किया गया नतीजा वही रहा और भगवती देवी द्वारा इजाद किए गए इस अनोखे तरीके को पैकेज ऑफ प्रैक्टिस में शामिल कर लिया गया।

किसान फसलों को दिमाग से बचाने के लिए कीटनाशक का प्रयोग करते हैं। कीटनाशक के प्रयोग से किसानों का पैसा तो जाता ही है साथ ही इससे मिट्टी की उर्वरा पर भी विपरीत असर पड़ता है।

ऐसे में कुछ सौ रुपए की सफेदे की लकड़ी से किसान अपने खेतों को दीमक से बचा सकते हैं और कीटनाशक पर खर्च होने वाले हजारों रुपए भी बच सकते हैं। इससे प्रदूषण भी नही होता है और मिट्टी की उर्वरकता भी कोई नकारात्मक प्रभाव नही पड़ता है।

इस बारे में भगवती देवी का कहना है सफेदा की लकड़ी भी खरीदने की जरूरत नही है। इसके लिए अपने खेतों में ही एक दो पेड़ सफेदा लगा के दीमक से छुट्टी पाई जा सकती है।

About admin

Check Also

https://khalihannews.com/

जलवायु परिवर्तन के असर से 2050 से 20 फीसदी कम होगी धान की पैदावार

पेरिस ओलंपिक में जब भारत की महिला पहलवान जीतने के लिए संघर्ष कर रही थी, …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *