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प. बंगाल : यूरोप तक जाती मालदा के आम की खुश्बू ‘तूफान’ में फंसी

आंधी बारिश आफत बन कर नहीं आती तो इस साल पश्चिम बंगाल के हिमसागर समेत कुछ अन्य किस्मों के आम को ब्रिटेन से लेकर यूरोप तक निर्यात किया जाता। देश के शीर्ष आम उत्पादक क्षेत्रों में से एक राज्य के मालदह जिले के किसानों को इस वर्ष अनुकूल मौसम और पर्याप्त वर्षा होने से आम की बंपर पैदावार की उम्मीद थी।

किसानों ने कहा कि दस मई से निरंतर बारिश से उनकी फसलों को काफी मदद मिली है जिससे इस बार आम के रिकॉर्ड पैदावार की उम्मीद की जा रही थी। उन्होंने कहा इस वर्ष 3.5 लाख टन आम की पैदावार की उम्मीद थी। बीते दिनों चक्रवाती तूफान से आम के बागान को नुकसान पहुँचा है|

मालदह जिले के आठ प्रखंडों में 31,000 हेक्टेयर खेत में आम की खेती की होती है। इंगलिश बाजार, पुराना मालदह, मानिकचक, रतुआ, हरिश्चंद्रपुर और चाचल में आम के अधिकांश बाग हैं। मालदह में लंगड़ा आम के अलावा गुत्थी, लक्ष्मणभोग, गोपालभोग, हिमसागर, आम्रपाली, मल्लिका, फज्ली और अश्विना आम की पैदावार की जाती है। जो ब्रिटेन से लेकर यूरोप तक में निर्यात किए जाते हैं।

अधिकारियों ने कहा कि पिछले वर्ष करीब 1.2 लाख टन आम बारिश और आंधी के कारण बर्बाद हो गए थे तथा 2.40 लाख टन उत्पादन दर्ज किया गया था। जिला उद्यान विभाग के उप निदेशक कृष्णेंदु नंदन ने कहा कि इस वर्ष अबतक बारिश व आंधी के कारण आम की पैदावार को बड़ा नुकसान पंहुचा है

आम का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बाद भी देश से आम की कुछ ही किस्मों का निर्यात किया जाता है। अब इसमें विविधता लाने की तैयारी है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के मुताबिक लंगड़ा, दशहरी, हिमसागर और जरदालू जैसी किस्मों के आम के निर्यात की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। अभी निर्यात में अल्फोंसो और केसर का दबदबा है लेकिन आम की दूसरी किस्मों की भी भारी मांग है। दुनियाभर में भारतीय मूल के लोग और दूसरे लोग भी इनकी मांग कर रहे हैं।

भारत से अब तक यूएई, ईयू और नेपाल को आम की निर्यात होता रहा है लेकिन अब दूसरे देशों को भी आम का निर्यात करने की तैयारी है। इनमें जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और मॉरीशस शामिल हैं। दुनिया में आम का बड़ा उत्पादक होने के बावजूद भारत निर्यात के मामले में मेक्सिको और पाकिस्तान से भी पिछड़ा हुआ है। अब भारत ने इन देशों को टक्कर देने की पूरी तैयारी कर ली है।

भारतीय किस्मों में ये समस्या
घरेलू खपत और खासकर उत्तर भारतीय किस्मों में शुगर की अधिक मात्रा के कारण इनका कम निर्यात होता है। साथ ही मानदंड की भी समस्या है। पिछले वित्त वर्ष में आम का निर्यात उससे पिछले वर्ष की तुलना में कम रहा। 2019-20 में भारत से 5.6 करोड़ डॉलर का आम निर्यात हुआ था जबकि कोविड के बीच पिछले साल करीब 2.83 करोड़ डॉलर का आम निर्यात किया गया।

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