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राजस्थान : जलवायु परिवर्तन का असर , रिकार्ड बारिश से रेत के धोरो में हरियाली की चादर

सैकड़ों किलोमीटर लंबे-चौड़े रेगिस्तान में न सिर्फ किसानों को अच्छी फसल मिली है, बल्कि पशुओं के लिए जमकर चारा भी हो गया है। खेतों में मोंठ, बाजरा, ग्वार, मूंगफली, बाजरी की खेती हो रही है। दस साल में पहली बार होगा कि मंडियों में इनकी बंपर आवक आने वाली है। न सिर्फ बीकानेर बल्कि अन्य जिलों में भी बंपर फसल होने की उम्मीद की जा रही है।

दस साल मे पहली बार ऐसा हुआ है कि पूरा रेगिस्तानी इलाका हरा-भरा हो गया है। एक वक्त था जब पश्चिमी राजस्थान में शहर व कस्बों से बाहर निकलते ही चारों तरफ रेत के टीले नजर आते थे। लेकिन, इस बार के मानसून ने इन टीलों को हरा-भरा कर दिया है।

मौसम विभाग की रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश के छह जिले (बीकानेर, बाड़मेर, चूरू, जोधपुर, श्रीगंगानगर और जैसलमेर ) में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। बारिश का रिकॉर्ड आंकड़ा देखे तो पिछले साल के मुताबिक इस साल 70 से 123 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है।

सबसे ज्यादा बारिश जैसलमेर में हुई है, जहां पिछले साल की तुलना में 123 प्रतिशत बारिश है। यहां पिछले साल 156 मिली मीटर बारिश हुई लेकिन इस बार यहां 3 सितंबर तक 350 मिमी बारिश हुई है। वहीं बीकानेर में पिछले दिनों तक बारिश का प्रतिशत 130 प्रतिशत के आसपास था लेकिन अगस्त के अंतिम सप्ताह में बारिश नहीं हुई। इसके बाद भी पिछले साल की तुलना में 97 प्रतिशत ज्यादा बारिश है। पिछले साल बीकानेर में महज 171 एमएम बारिश हुई लेकिन इस बार ये आंकड़ा 433 एमएम तक पहुंच गया है। इसी तरह बाड़मेर में 84 प्रतिशत, चूरू में 70 प्रतिशत, जोधपुर में 71 प्रतिशत,श्रीगंगानगर में 85 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है।

प्रदेश के पूर्वी और दक्षिणी जिलों में तो बारिश शुरू भी हो चुकी है। मौसम विभाग ने जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, झुंझुनूं, सीकर, टोंक, बूंदी, भीलवाड़ा, उदयपुर, सिरोही के माउंट आबू, झालावाड़, बारां, राजसमंद, कोटा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिलों और आसपास के इलाकों में बिजली की गरज-चमक के साथ हल्की से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसी के साथ 9 सितंबर से 15 सितंबर तक पूरे प्रदेश में भारी बारिश होगी। सितंबर महीने में औसत से ज्यादा 109 फीसदी बारिश राजस्थान में होगी।

सैकड़ों किलोमीटर लंबे-चौड़े रेगिस्तान में न सिर्फ किसानों को अच्छी फसल मिली है, बल्कि पशुओं के लिए जमकर चारा भी हो गया है। खेतों में मोंठ, बाजरा, ग्वार, मूंगफली, बाजरी की खेती हो रही है। दस साल में पहली बार होगा कि मंडियों में इनकी बंपर आवक आने वाली है। न सिर्फ बीकानेर बल्कि अन्य जिलों में भी बंपर फसल होने की उम्मीद की जा रही है।

पांच हजार बीघा में घास, चार हजार गाय
बीकानेर के मुरलीधर व्यास कॉलोनी के पास स्थित गोचर में पहले महज 1700 गाय थी, अब इस बारिश के बाद बढ़कर चार हजार हो गई है। पहले भी सेवण घास लगाई गई थी, लेकिन इस बार बीकानेर में अलग अलग जगह पांच हजार बीघा में सेवण लगाई गई है। अच्छी बारिश के बाद ये घास अब गायों के काम आ रही है। बीकानेर के अलावा जैसलमेर, जोधपुर, चूरू, झुंझुनूं, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ के रेगिस्तानी एरिया में जबर्दस्त बारिश के बाद हरा चारा नजर आने लगा है।

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