मक्का की बुवाई के बाद खरपतवार, कीड़े और बीमारियों का संकट होना आम बात है, लेकिन बुवाई के पहले ही रोकथाम के उपाय कर लिये जाये, तो इस समस्या से निपटा जा सकता है|
खेत तैयार करते समय ही जमीन में गहरी जुताईं करनी चाहिये और मिट्टी को धूप लगानी चाहिये, जिससे हानिकारक पदार्थ नष्ट हो जायें|
मक्का बुवाई से पहले बीजों को कार्बेंडाजिम और थीरम से उपचारित कर लेना चाहिये, जिससे फसल पर खरपतवारों का बुरा असर न पड़े|
फसल में प्रमाणित खरपतवार नाशी दवा डालें और छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी बनायें और कुछ समय तक खेत को खाली छोड़ दें|
खरपतवार नियंत्रण के लिये निराई-गुडाई को सबसे सस्ता साधन कहते हैं, क्योंकि इस दौरान खरपतवार वाले पौधों को जड़ समेत उखाड़कर फेंक दिया जाता है|
मक्का की फसल की प्रारंभिक अवस्था में खरपतवारों से काफी क्षति पहुंचती है। इसलिए निकाई-गुड़ाई करना आवश्यक है। एट्राजीन रसायन का प्रयोग करके भी खरपतवारों का सफलतापूर्वक नियंत्रण किया जा सकता है। 1.0-1.5 किग्रा. एट्राजीन 50% डब्लू.पी. को 800 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के दूसरे या तीसरे दिन अंकुरण से पूर्व प्रयोग करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं अथवा एलाक्लोर 50% ई.सी. 4 से 5 लीटर को भी 800 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 48 घण्टे के अन्दर प्रयोग कर खरपतवार नियंत्रित किये जा सकते हैं।