पंजाब की मान-सरकार ने दस रसायनों पर रोक लगाना तय किया है| इन रसायनों की मदद से बासमती को सुगंधित किया जाता है| कृषि विशेषज्ञों की सिफ़ारिश पर ऐसा होगा| ये रसायन सेहत के लिए नुकसानदेह पाये गये हैं|
पंजाब के कृषि व किसान कल्याण विभाग ने ठीक खरीफ सीजन से पहले एग्रो केमिकल पर प्रतिबंध लगाने की कवायद शुरू की है. असल में कोई भी राज्य सरकार खेती के रसायनों पर 60 दिन तक ही प्रतिबंध लगा सकती है| माना जा रहा है कि खरीफ सीजन से ठीक पहले प्रतिबंध की इस कवायद के बाद अब धान की रोपाई के दौरान इन रसायनों का प्रयोग प्रतिबंधित रहेगा|
पंजाब के कृषि व किसान कल्याण विभाग ने एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है| इस प्रस्ताव में जिन 10 एग्रो रसायनों (कीटनाशकों, कीटनाशकों और खरपतवारनाशकों) का नाम है, उसमें सभी एग्रो रसायनों का प्रयोग किसान बासमती धान पर करते हैं| मसलन राज्य के किसान आमतौर पर प्रीमियम सुगंधित बासमती धानों पर स्प्रे करने के लिए इन एग्राे केमिकल्स का प्रयोग करते हैं| जिससे वह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने धान को स्वीकृति दिला सकें|
विभाग ने प्रस्ताव बना कर जिन 10 एग्रो केमिकल्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है| इस सूची में एसेफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरपाइरीफोस, मेथैमिडोफोस, प्रोपिकोनाजोल, थियामेथोक्सम, प्रोफेनोफोस और आइसोप्रोथियोलेन शामिल है| विभाग ने यह कवायद तब शुरू की है, जब पिछले वर्षों में बासमती चावलाें की खेप में ट्राइसाइक्लाजोल और कार्बेन्डाजिम मिलने की जानकारी सामने आई थी| रिपोर्ट के मुताबिक कृषि निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि विभाग की तरफ से प्रस्ताव भेजे जाने के बाद प्रतिबंध पर अंतिम फैसला सरकार को ही लेना है|
बीते साल राज्य के अंदर 4.85 लाख हेक्टेयर में बासमती धान खेती की गई थी| आंकड़ों के अनुसार पंजाब में इस खरीफ सीजन 30 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है| इसमें से 12 लाख हेक्टेयर में धान की सीधी बुवाई करने की योजना है| धान की सीधी बिजाई से सरकार पंजाब में भू-जल स्तर को कम न होने देने के साथ बिजली की अतिरिक्त मांग को भी रोकने की हर संभव कोशिश कर रही है|