सौंफ के लिए राजस्थान में सबसे उपयुक्त जगह सिरोही ही है। वैसे प्रदेश में सिरोही के अलावा जालोरए जोधपुर और अजमेर के कुछ हिस्सों में भी सौंफ की खेती की जाती है लेकिन सिरोही में सौंफ की खेती का तरीका सबसे जुदा है। सौंफ को छाया में सुखाने के कारण इसकी महक सालों तक वैसी ही रहती है। चमक भी बेहतरीन होती है।
अपनी सौंधी खुशबू से पहचान बनाने वाली आबू की सौंफ की महक राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच चुकी है। अपने कार्यकाल में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने, राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में भी इसके पौधे लगाने की इजाजत दी। मुगल गार्डन में यह आबू सौंफ.440 के नाम से पहचान बना रही है। मुगल गार्डन का अब नाम बदल कर अब ” अमॄत उद्यान” कर दिया गया है। देश के विभिन्न प्रकार के उच्च गुणवत्ता वाले पौधे ही लगाए जाते हैं।
सिरोही. आबूरोड की सौंफ की गुणवत्ता और खुशबू ऐसी है कि प्रदेश ही नहीं बल्कि गुजरात व महाराष्ट्र समेत देशभर में महक फैला रही है। यह नगदी फसल आबूरोड के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
लगभग पहाड़ी जिले सिरोही के आबू के में, किसानों में सौंफ की खेती के प्रति इतना इतना रुझान है कि आबूरोड व रेवदर ब्लॉक में लगभग 4000से 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की जा रही है और अब खेती का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
ये काश्तकार सौंफ की उन्नत खेती कर आर्थिक रूप से न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रहे हैंं बल्कि घरों में वे सारे आधुनिक उपकरण भी बना रहे हैं। परम्परागत फसलों के साथ यहां के किसान सौंफ की खेती से अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। बावजूद यहां के किसानों का दर्द यह है कि हमारी फसल का हमें पूरा दाम नहीं मिल रहा। बेचने के लिए पड़ोसी राज्य गुजरात के ऊंझा मंडी पर निर्भर रहना पड़ता है।
आबू अंचल में पिछले कुछ साल में सौंफ की उपज में गुणवत्ता और मात्रा के लिहाज से बेहद वृद्धि दर्ज की गई है। सौंफ की खेती में परम्परागत तौर तरीकों की बजाय नवाचारों के जरिए पानी, मेहनत और पूंजी की बचत के साथ बेहतर गुणवत्तापूर्ण उपज ली जा रही है। आबू की सौंफ देश में सबसे अलग तरह की खुशबूदार और गुणवत्ता से भरी है।
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