बिहार के मुजफ्फरपुर में पेड़ों से लीची दक्षिण भारत के राज्यों तक नहीं मलेशिया व इंग्लैंड तक जायेगा | लंबी दूरी तय करके भी यह लीची ताजा रहेगी | इसकी विशेष व्यवस्था की गई है|
मुजफ्फरपुर की शाही लीची को इस बार पंख लग गए हैं| दरभंगा में नया एयरपोर्ट शुरू होने के बाद मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके से लीची हवाई जहाज के जरिए देश-विदेश के दूरदराज के इलाकों में पहुंच रही है|
अपने सरस स्वाद के लिए देश-विदेश में मशहूर शाही लीची इस साल इंग्लैंड व मलेशिया तक जायेगी| इसके लिए शहर से मात्र छह किमी की दूरी पर स्थित पुनास और मनिका गांव के बगीचा से फल भेजने की तैयारी की जा रही है|
पुनास के प्रिंस कुमार व मनिका के रजनीश कुमार एपिडा (एक्सपोर्ट व इंपोर्ट कंपनी) के माध्यम से लीची
के निर्यातक प्रिंस कुमार ने बताया कि मार्केट ठीक-ठाक रहा, तो इस सीजन में 50 टन लीची इंग्लैंड व मलेशिया भेजी जायेगी| इसके अलावा दूसरे प्रदेशों व लोकल बाजार में लीची की मांग है| पिछले दो साल कोरोना की वजह किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन इस बार अच्छे मुनाफे की उम्मीद है|
लीची को बारिश का इंतजारलीची के लिए आने वाले 15 दिन काफी अहम हैं. लीची को बारिश की जरूरत थी| बारिश से फल में लाली के साथ मिठास आयेगी|बीते दो दिन से बौछारें पड़ने से लीची उत्पादकों के चेहरे खिल गये हैं|
इस बार लीची पिछले कई साल से अच्छी है| लेकिन इसकी वजहशहर के आसपास बैरिया, कांटी, कन्हौली के आसपास के बगीचा की लीची लाल होकर फट रही है| इसकी वजह लगातार गर्मी बढ़ना है|