tag manger - मक्का के बीच अरबी की खेती से दुगना मुनाफा – KhalihanNews
Breaking News

मक्का के बीच अरबी की खेती से दुगना मुनाफा

मक्का की खड़ी फसल में कतारों के बीच अरबी की खेती से किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। अरबी के पौधे बारिश और गर्मियों के मौसम में अच्छे से विकास करते हैं। लेकिन अधिक गर्म और अधिक सर्द मौसम के कारण पौधों में नुकसान देखने को मिल सकता है। इसके अलावा मक्का के साथ अरबी के पौधे लगाने से खेत की निराई-गुड़ाई हो जाती है। जिससे मक्का के पौधों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। खेत में मक्का कटने के बाद अरबी के लिए उपयुक्त कृषि कार्य किए जा सकते हैं। अगर आप भी मक्का में अरबी की मिश्रित खेती कर अधिक लाभ कमाना चाहते हैं।

खेत की तैयारी

अरबी की बुवाई के लिए मेड़ की आपस में दूरी 45 सेंटीमीटर रखें। साथ ही कंद की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें।

अरबी के लिए 3 से 4 क्विंटल कंद का प्रयोग प्रति एकड़ के अनुसार करें।

पर्याप्त जीवांश वाली रेतीली दोमट मिट्टी में खेती करें।

कंदो के समुचित विकास के लिए गहरी भूमि का चयन करें।

भूमि का पी.एच. मान 5.5 से 7 के मध्य होना चाहिए |

उचित मात्रा में पानी उपलब्ध होने पर मेड़ और कंद की दूरी को कम किया जा सकता है।

अरबी की बीज बुवाई के समय 10 से 12 टन गोबर की खाद का प्रयोग प्रति एकड़ के अनुसार करें।

40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस और 32 किलोग्राम पोटाश का उपयोग प्रति एकड़ के हिसाब से करें।

20 किलोग्राम नाइट्रोजन और फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा को प्रति एकड़ के हिसाब से मक्के की कटाई के बाद खेत में डालें।

नाइट्रोजन की शेष मात्रा को बराबर बांटकर 30 से 70 दिनों के अंतराल में खेत में डालें।

जायद की फसल में 6 से 7 दिनों के अंतर में सिंचाई करें।

बरसात में नमी कम होने पर 15 से 20 दिन के अंतर में सिंचाई करें।

खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए कम से कम दो बार निराई-गुड़ाई करें।

About admin

Check Also

भारत-नीदरलैंड्स कृषि साझेदारी: 2025 तक 25 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की योजना

भारत-नीदरलैंड्स कृषि साझेदारी: 2025 तक 25 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की योजना

लखनऊ में 15 से 18 नवम्बर तक नीदरलैंड्स को साझीदार देश का सम्मान देते हुए …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *