शीतलहर का कहर जारी है| पिछले कुछ दिनों में इस वजह से फसलों व उद्यानिक फसलों को नुकसान होने लगा है| आलू में झूलसा रोग के साथ टमाटर, आलू और अन्य रबी फसलों में झुलसा रोग तेजी से फैल रहा है| दूसरी ओर सरसों में लाही की समस्या से किसान परेशान है|
कृषि विभाग के पास सब्जियों का फसल बर्बाद होने के बारे में शिकायतें पहुंचने लगी है| ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों की ओर से शीतलहर से फसलों को बचाने के लिये सुझाव दिया गया है|
टमाटर व अन्य फसलों को झूलसा रोग से बचाने के लिये 2.5 ग्राम डाई-इथेन एम-45 फफूंदनाशक दवा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करने की सलाह दी गयी है| इस छिड़काव के 8 से 10 दिन बाद दोबारा रीडोमील दवा 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करना है|
आलू की सफल खेती के लिए आवश्यक है की इस रोग के बारे में जाने एवं प्रबंधन हेतु आवश्यक फफूंदनाशक पहले से खरीद कर रख लें| सही समय पर उपयोग करें| अन्यथा रोग लगने के बाद यह रोग आप को इतना समय नहीं देगा की आप तैयारी करें| पूरी फसल नष्ट होने के लिए 4 से 5 दिन पर्याप्त है|
आलू की फसल में आवश्यकतानुसार 10-15 दिनों के अंतराल में ¨सचाई करें। सब्जियों में निकाई-गुड़ाई एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।