प्रदेश में बीती 1 अप्रैल से सरकारी केंद्रों पर गेहूं खरीदने का इंतजाम किया गया है| सरकार ने पूरे सूबे में 6000 क्रय केंद्र खोलने की घोषणा की थी| इनमें से अभी तक 5, 377 क्रय केंद्र ही खुले हैं| इनमें से भी 3,704 क्रय केंद्रों पर एक भी दाना गेहूं का नहीं खरीदा जा सका है| सरकारी लक्ष्य 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का है इस साल यह लक्ष्य पूरा करने के लिए अभी से अधिकारियों के पसीने छूट गए हैं|
मिली जानकारी के मुताबिक 2,073 गेहूँ केंद्रों पर अब तक करीब 55 मीट्रिक टन की ही गेहूं की खरीददारी की गई है यह लक्ष्य का करीब एक फ़ीसदी है| उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद की अंतिम तारीख 15 जून निर्धारित की गई है|
अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ₹2015 प्रति कुंटल किधर से किसानों से गेहूं खरीद ना घोषित किया गया बाजार में गेहूं खुले बाजार में 2100 से 2300 पार्क शान अपना गेहूं बेच रहे हैं |
इस साल यूक्रेन रूस के बीच में युद्ध जारी रहने से कई देशों के लिए भारत गेहूं का निर्यात कर रहा है| किसान खुले बाजार में इसलिए भी अपना गेहूं बेचना पसंद कर रहा है| क्योंकि बाजार में सरकारी खरीद केंद्रों से ज्यादा दाम मिल रहा है | एक कारण यह भी है कि खुले बाजार में किसानों का भुगतान तुरंत हो नगद हो रहा है|
किसानों का कहना है की सरकारी खरीद केंद्रों पर ₹20 की कटौती गेहूं की उतराई, छनाई और नमी बताकर की जाती है| मंडियों में कारोबारी से ना तो पहले से रजिस्ट्रेशन कराने और टोकन हासिल करने जैसी अड़चनों का सामना करना पड़ता है| किसान इसके बावजूद भुगतान लेने के लिए बैंक को के दरवाजे पर लाइन लगाकर खड़ा होना पड़ता है| मंडी में इस तरह की कोई परेशानी नहीं होती है|
गौरतलब है कि पिछले साल न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपए था और खुले बाजार में रेट भी कम था| तब सरकार को भी भारत से गेहूं निर्यात करने की कोई हड़बड़ी नहीं थी| एक तरफ गेहूं खरीद में अभी तक जहां पंजाब ने रिकॉर्ड बनाया है, वही उत्तर प्रदेश में सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है|