पाउडर उपलब्ध हैं, उसी प्रकार दूधारू पशुओं के लिए भी कई कंपनियों के पाउडर उपलब्ध है जिसके इस्तेमाल से पशु ज्यादा दूध देते हैं। इसके अलावा किसान देशी तरीके से भी पशुओं के लिए चूर्ण (पाउडर) बनाते हैं जिसे पशुओं को खिलाने पर ज्यादा दूध मिलता है।
कई लोग अपने गाय और भैंसों से अधिक दूध प्राप्त करने के लिए इंजेक्शन आदि का सहारा लेते हैं, यह पहले कारगर तो साबित होता है लेकिन कई बार इसका प्रभाव विपरीत भी पड़ जाता है। ज्यादा से ज्यादा दूध निकालने के चक्कर में गाय और भैंसों में ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगा देते है। इस दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन पर रोक होने के बावजूद इसका इस्तेमाल गाय और भैंस में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है। ऐसे में इसके इस्तेमाल करने वाले और बेचने वाले दोनों को जुर्माना और सजा हो सकती है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधी प्रशासन ऐसे इंजेक्शन की खेप कई बार पकड़ चुका है और इस पर सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है। ऐसा माना जाता है कि गाय-भैंस दूध देने के बावजूद करीब 25 फीसदी अपने बच्चों के लिए बचा लेती हैं। यह इंजेक्शन देकर उस दूध को भी निकाल लिया जाता है जो खतरनाक है।
पशुपालन विभाग के अनुसार लोबिया घास खिलाने से गाय का दूध बढ़ जाता है।
लोबिया घास में औषधीय गुण पाए जाते हैं जो दूध की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं। लोबिया घास खिलाने से गाय की सेहत पर कोई विपरित प्रभाव नहीं पड़ता और दूध की मात्रा भी सहज ही बढ़ जाती है। लोबिया घास में कुछ विशेषताएं पाई जाती है जिसके कारण गाय, भैंसों को इसे खिलाना फायदेमंद बताया गया है। लोबिया घास की विशेषता यह है कि इस घास का अन्य घास के मुकाबले पाचक होना है। इसमें प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो दूधारू पशु के लिए जरूरी होती है। ऐसे में यदि पशुपालक गाय व भैंस को लोबिया घास खिलाएं तो वे प्राकृतिक रूप से दूध की मात्रा बढ़ा सकते हैं।
गाय व भैंस का दूध बढ़ाने की घरेलू औषधि बनाएं
गाय व भैंस की दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए आप घर पर ही इसकी औषधी बना सकते हैं। इसके लिए कुछ चीजों की जरूरत होगी जो आसानी से आपको मिल जाएगी। औषधी निर्माण की विधि इस प्रकार से है-
औषधी को बनाने के लिए आपको 250 ग्राम गेहूं का दलिया, 100 ग्राम गुड़ सर्बत (आवटी), 50 ग्राम मैथी, एक कच्चा नारियल, 25-25 ग्राम जीरा व अजवाईन की आवश्यकता होगी।
सबसे पहले दलिया, मैथी और गुड़ को पका लें। इसके बाद में उसमें नारियल को पीसकर डाल दें। जब ये ठंडा हो जाए तो इसे पशु को खिलाएं।
ये सामग्री 2 महीने तक केवल सुबह खाली पेट ही खिलानी चाहिए।
इसे गाय को बच्चा देने से एक महीने पहले शुरू करना चाहिए और बच्चा देने के एक महीने बाद तक खिलाना चाहिए।
25-25 ग्राम अजवाईन व जीरा गाय के ब्याने के बाद केवल 3 दिन ही देना चाहिए। ऐसा करने से आपको जल्द ही अच्छे परिणाम मिलने लगेंगे।
सरसों के तेल और आटे से भी घरलू दवा बनाकर गाय को खिलाने से भी गाय, भैंस के दूध की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। दवा बनाने का तरीका इस प्रकार से है-
सबसे पहले 200 से 300 ग्राम सरसों का तेल, 250 ग्राम गेहूं का आटा लें। अब दोनों को आपस में मिलाकर शाम के समय पशु को चारा व पानी खिलाने के बाद खिलाएं। ध्यान रहे दवा खिलाने के बाद पशु को पानी नहीं पिलाना है। इतना ही नहीं यह दवाई भी पानी के साथ नहीं देनी है। अन्यथा पशु को खांसी की समस्या हो सकती है। यह दवा पशु को 7-8 दिनों तक ही खिलानी चाहिए इसके बाद इस दवा को बंद कर देनी चाहिए। वहीं पशु को हरा चारा व बिनौला आदि जो खुराक आप पहले से दे रहें है उसे देते रहना चाहिए। इसे बंद नहीं करना चाहिए।
दुधारू पशु गाय, भैंस की देखभाल पर भी दें ध्यान
उपरोक्त घरेलू उपाय के अलावा पशुपालक किसान को दुधारू पशु गाय, भैंस के उचित रखरखाव और देखभाल पर भी ध्यान देना चाहिए। इससे भी दूध का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।
दूधारू पशु गाय, भैंस के रहने का बाड़ा साफ-सुधरा होना चाहिए जिसमें प्रकाश और हवा का उचित प्रबंध होना चाहिए।
पशु के लिए पक्की जगह भी होनी चाहिए जहां वह बारिश के समय आराम से बैठ सके।
पशुओं के रहने के लिए विशेष घर और चारा खाने वाला स्थान अपेक्षाकृत ऊंचा और समतल होना चाहिए।
गर्मियों में पशुओं के लिए पंखे या कूलर की सुविधा रखनी चाहिए ताकि भीषण गर्मी से पशु को राहत मिल सकें।
पशु को हरा चारा जरूर खिलाना चाहिए। इससे दूध की मात्रा बढ़ती है।
पशु का समय-समय पर टीकाकरण करना चाहिए ताकि पशु जल्दी रोग की चपेट में नहीं आ पाएं।
पशु को कभी खुले में नहीं छोड़ना चाहिए। खुले में छोडऩे से पशु इधर-उधर घूमना शुरू कर देते हैं और कई तरह की हानिकारक चीजें खा जाते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।