पिछले हफ्ते से प्याज के दाम इतने कम हो गए हैं कि किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है| इस बीच प्रदेश की कई मंडियों को पांच दिन के लिए बंद कर दिया है| जिससे उनकी परेशानी में और इजाफा हो गया है| किसानों का कहना है कि प्याज का जो पुराना स्टॉक है वो कैसे बिकेगा| मार्च में क्लोजिंग और गुड़ी पड़वा त्यौहार के चलते महाराष्ट्र में ज्यादातर मंडियों को 30 तारीख से पांच दिन के लिए बंद करने का एलान किया गया है| किसान इसके विरोध में उतर गए हैं|
नासिक के लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है| लेकिन इसमें प्याज का न्यूनतम भाव सिर्फ 300 से लेकर 400 रुपये प्रति क्विंटल तक रह गया है| किसान इतने कम रेट पर प्याज बेचने को मजबूर हैं|
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि प्रति किलो प्याज पैदा करने की लागत ही 18 रुपये प्रति किलो हो गई है, फिर कैसे इतने दाम में किसानों का काम चलेगा| किसान अपनी लागत नही निकाल पा रहे हैं|
दिघोले का कहना है कि पिछले महीने से मार्केट में रबी सीजन का प्याज आना शुरू हो गया है| इसलिए गर्मियों के प्याज और लाल प्याज की कीमतों में कमी आई है| रबी सीजन का प्याज़ आने से प्याज़ की आवक बढ़ी है लेकिन भाव इतना कम हो गया है कि किसान अपनी लागत तक नही निकाल पा रहा है| जबकि डीजल का रेट इतना ज्यादा हो गया है|
गिरती कीमतों और बदलते मौसम ने किसानों द्वारा प्याज की बिक्री को बाधित कर दिया है| प्याज की रिकॉर्ड आवक शुरू होने से वर्तमान में ग्रीष्मकालीन प्याज का दाम इतना कम हो गया है|
प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव से किसानों को लाखों का नुकसान होता है| रातों-रात दाम गिरने से किसान मायूस हैं| साथ ही इस साल गर्मियों में प्याज की खेती में इजाफा हुआ है| इसलिए आने वाले समय में प्याज की आपूर्ति बढ़ेगी| मौजूदा दर इतनी कम है कि उसमें किसानों को छंटाई, कटाई और बाजार तक परिवहन का खर्च तक नहीं निकलता| सीजन की शुरुआत में उपभोक्ताओं की आंखों में आंसू लाने वाला प्याज फिलहाल, किसानों को रुला रहा है|