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भारत-पाकिस्तान के लिए जलवायु परिवर्तन से खेती पर गंभीर संकट

जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी समिति (आईपीसीसी) ने सोमवार को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी कि जलवायु के लगातार बिगड़ते हालात से दक्षिण एशिया में खाद्य सुरक्षा को लेकर जोखिम खड़ा हो रहा है| साथ ही चेताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत और पाकिस्तान में बाढ़ और सूखे के हालात पैदा होने का खतरा बढ़ रहा है|

‘जलवायु परिवर्तन 2022: प्रभाव, अनुकूलन और संवेदनशीलता’ विषय पर आईपीसीसी कार्यकारी समूह-द्वितीय की रिपोर्ट के दूसरे खंड में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के साथ ही एशिया में कृषि और खाद्य प्रणाली के लिए खतरा बढ़ेगा जिसका पूरे क्षेत्र पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा|

रिपोर्ट में कहा गया, ”उदाहरण के तौर पर, दक्षिण एशिया में जलवायु संबंधी गंभीर परिस्थितियों के कारण खाद्य सुरक्षा का जोखिम बढ़ रहा है, जिसका सबसे अधिक प्रभाव भारत और पाकिस्तान जैसी कृषि आधारित अर्थव्यवस्थओं पर पड़ेगा|” रिपोर्ट में आगाह किया गया कि जलवायु परिवर्तन से मत्स्य पालन, समुद्री जीवन और फसलों की पैदावार पर विपरीत प्रभाव होगा, खासकर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में यह असर अधिक होगा|

इसमें कहा गया है, ‘यदि अनुमानत: तापमान में एक डिग्री सेल्सियस से चार डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी होती है तो भारत में, चावल का उत्पादन 10 से 30 प्रतिशत तक, जबकि मक्का का उत्पादन 25 से 70 प्रतिशत तक घट सकता है|’

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि दुनिया का तापमान 2090 तक औसतन 4 डिग्री सेल्सियस बढ़ा तो दक्षिण एशिया के लिए इसके परिणाम और बुरे होंगे। यदि दक्षिण एशिया में कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई तो इस परिदृश्य में, दक्षिण एशिया में भयंकर सूखे और बाढ़, समुद्र का जल स्तर बढ़ने, ग्लेशियर पिघलने और खाद्य उत्पादन में गिरावट जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। उदाहरण के लिए भारत में मॉनसून के दौरान अत्यधिक वर्षा जिसकी फिलहाल 100 वर्ष में सिर्फ एक बार होने की आशंका होती है लेकिन सदी के आखिर तक इसकी हर 10 वर्ष में होने की आशंका है।

जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे असर से अब भी बचा जा सकता है यदि गर्माहट में वृद्धि को 2 डिग्री से कम रखा जाए लेकिन इसके अवसर कम हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार जलवायु अनुकूल खेती, बाढ़ और सूखे से रक्षा तथा ऊष्मा प्रतिरोधी फसलों, भूजल प्रबंधन में सुधार, तटीय बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और मानव स्वास्थ्य में सुधार के जरिए तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

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