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महाराष्ट्र : किसान नाफेड की बजाए खुले बाजार में उपज बेचना ज्यादा पसंद कर रहे हैं !

सरकारी चना खरीद केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना लागू है यानी बाजार से ज्यादा कीमत सरकार दे रही है| इसके बावजूद महाराष्ट्र में किसान अपना चना, खुले बाजार में खुले मन से बेच रहा है| सूबे में नाफेड ने करीब 20 दिन पहले ही चना खरीद केंद्र खोलें हैं| अच्छी आवक के बावजूद, किसान अपनी उपज सरकारी केंद्रों पर ना ले जाकर खुले बाजार में बेचने से खुश है| हालांकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से थोड़ा कम पैसा मिल रहा है| 

फिलहाल प्रदेश भर के सरकारी खरीदी केंद्र और खुले बाजार दोनों में चना पहुंच रहा है| लेकिन खुले बाजार में आवक ज्यादा है| लातूर कृषि उपज मंडी समिति में शनिवार को 25000 बोरी की आवक पहुची थी, जिसका रेट 4,500 रुपये मिला. तो वही सरकारी केंद्रों पर 5,230 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय है| कीमतों में बड़ा अंतर होने के बाद भी सरकारी केंद्र में आवक कम पहुच रही है| केंद्र पर नियम-कानून के चलते किसान खुले बाजार में चना बेच रहे हैं|

किसानों का कहना है कि खरीदी केंद्रों पर बिक्री के बाद एक महीने तक पैसा का इंतजार करना होगा|
जबकि हम किसानों को उपज बेचते समय हाथ में पैसे की जरूरत होती है| इसलिए खुले बाजार में रेट कम होने के बावजूद हम वहाँ उपज बेचते हैं| उनका कहना है कि भला ज्यादा दाम किसे नुकसान करेगा, लेकिन सरकारी नियम ऐसे हैं कि किसान उनमें उलझने से बचता है|

चने के लिए खरीदी केंद्र की शुरुआत केंद्र सरकार ने की है, लेकिन यहां के नियम-कानून किसानों को समझ नहीं आ रहे हैं.चने में नमी की मात्रा 10% से अधिक होने पर केंद्र पर माल नहीं लिया जाता है|

किसानों का कहना है कि खरीदी केंद्रों पर बिक्री के बाद एक महीने तक पैसा का इंतजार करना होगा| जबकि हम किसानों को उपज बेचते समय हाथ में पैसे की जरूरत होती है| इसलिए खुले बाजार में रेट कम होने के बावजूद हम वह उपज बेचते हैं| उनका कहना है कि भला ज्यादा दाम किसे नुकसान करेगा, लेकिन सरकारी नियम ऐसे हैं कि किसान उनमें उलझने से बचता है|

सूबे के वाशिम जिले में ही नहीं बल्कि लातूर में भी बताया जा रहा है| किसानों का कहना है कि दरअसल, खुले बाजार में व्यापारियों द्वारा उपज खरीदी जाती है, जहां गुणवत्ता की बात तो होती है, लेकिन इसे लेकर किसानों को उलझाने वाले नियम कायदे नहीं हैं| वहीं खरीदी केंद्र पर गुणवत्ता मानकों के उलझाने वाले नियम लागू हैं| इसके चलते किसानों को अपनी उपज एमएसपी पर बेचने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है| वो सरकारी केंद्र की बजाय बाजार का रुख कर रहे हैं|

चने के लिए खरीदी केंद्र की शुरुआत केंद्र सरकार ने की है, लेकिन यहां के नियम-कानून किसानों को समझ नहीं आ रहे हैं| चने में नमी की मात्रा 10% से अधिक होने पर केंद्र पर माल नहीं लिया जाता है| साथ ही किसानों को पंजीकरण के अनुसार माल लाना होगा| कुछ किसान पंजीकरण कर पाते हैं और कुछ नहीं, क्योंकि उन्हें ऑनलाइन फसल और अन्य दस्तावेज भरने होते हैं| जिसके चलते किसान सीधे खुले बाजार में चना बेचना पसंद कर रहे हैं| किसानों का कहना है कि सरकार अगर किसानों से एमएसपी पर खरीद करना ही चाहती है तो नियम इतने पेचीदा नहीं बनाने चाहिए|

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