भगवंत मान का मानना है कि किसी नेता की सुरक्षा से अधिक जनता की सुरक्षा आवश्यक है। उनका ये भी मानना है कि पुलिस स्टेशन को खाली नहीं छोड़ सकते हैं ऐसे में सभी पुलिस कर्मी वहाँ हो तो बेहतर है। इस बड़े फैसले से कई बड़े नेताओं को बड़ा झटका लगा है जिनमें से एक पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिंह सिद्धू भी हैं।
सूबे के 122 पुराने मंत्रियों और विधायकों की सिक्योरिटी हटाने के सवाल पर पंजाब के मनोनीत मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, थाने खाली पड़े हैं और नेताओं के घर के सामने तंबू लगाकर सिक्योरिटी की जा रही है| हम पुलिस से पुलिस वाला काम लेंगे| मुझे लगता है कि पंजाब के पौने तीन करोड़ लोगों की सुरक्षा कुछ लोगों की सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है|
सिर्फ बादल परिवार जिन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर सुरक्षा मिली हुई है, के अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह और चरणजीत सिंह चन्नी जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों को छोड़कर अन्य तमाम कांग्रेस और अकाली दल के बड़े नेताओं की सुरक्षा में कटौती कर दी गई है| कई पूर्व विधायकों से सुरक्षा वापस ले ली गई है|
एक सरकारी आदेश के बाद नेताओं के साथ ड्यूटी पर लगे सुरक्षा कर्मियों को वापस बुला लिया गया है| इसमें बड़ी संख्या में कमांडो, पंजाब आर्म्ड पुलिस के जवान और जिला पुलिस के कर्मचारी शामिल हैं| यह सुरक्षा अकेले इस बार चुनाव हारे विधायकों से ही नहीं बल्कि पूर्व मंत्रियों और विधायकों से भी ली गई है|
भगवंत मान ने वेणु प्रसाद को प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया। वह 1991 बैच के आईएएस हैं।
सूबे मे सुरक्षा हटने की सूची में रणदीप सिंह नाभा, विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष अजैब सिंह भट्टी, मनप्रीत सिंह बादल, राज कुमार वेरका, भारत भूषण आशु, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राणा केपी सिंह, रजिया सुल्ताना, परगट सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वारिंग शामिल हैं। वहीं इसके अलावा अरुणा चौधरी, राणा गुरजीत सिंह, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया और कई अन्य नेता भी इस सूची में शामिल हैं।