राजस्थान में सरसों का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है | कपास की तरह से सरसों का बाज़ार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा है| इस समय सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रुपये प्रति क्विंटल है| ऑनलाइन मंडी में इसका रेट 7,063 रुपये तक चल रहा है| नागौर मंडी में 13 जून को इसका दाम 7,100 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है| जिन मंडियों में आवक ज्यादा है, वहां पर दाम कुछ कम है|
मार्केट के जानकारों का कहना है कि चालू फसल वर्ष में अब तक 5.07 मिलियन मिट्रिक टन सरसों की आवक हो चुकी है| जो कुल फसल का 46 फीसदी है. आगामी हप्तों में किसान ज्यादा कीमत की उम्मीद में अपने स्टॉक को रोक कर रख सकते हैं| उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और अच्छा दाम मिलेगा| उधर, सरसों के 1 लीटर तेल कीमत इस समय 200 रुपये के आसपास है|
सरसों उत्पादक प्रमुख देशों कनाडा और चीन में इस साल उत्पादन कम हुआ है| चीन में सरसों उत्पादन में 0.4 जबकि कनाडा में 35.4 फीसदी की गिरावट है| भारत में उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 27.1 फीसदी ज्यादा है|
पिछले साल इसका अच्छा दाम मिला था इसलिए किसानों ने जमकर इसकी बुवाई की थी| वर्ष 2021 के मुकाबले 2022 में सरसों का एरिया 18 लाख हेक्टेयर बढ़ गया था| जिसकी वजह से उत्पादन में इजाफा हुआ| साल 2020-21 में 8.50 मिलियन मिट्रिक टन सरसों पैदा हुई थी जबकि 2021-22 में यह 10.80 एमएमटी हो गई है|
भारत अपनी जरूरत का करीब 55 फीसदी खाद्य तेल इंपोर्ट करता है| इसलिए ज्यादा उत्पादन के बावजूद दाम में कमी नहीं आएगी| यह एमएसपी से ऊपर ही रहेगा| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका उत्पादन 3.3 फीसदी कम फीसदी कम हो गया है. रिफाइंड के मुकाबले सरसों का तेल खाने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है| इसलिए इसकी कीमत एमएसपी से ज्यादा ही बनी रहने की उम्मीद है|
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है कि सरसों की कीमत एमएसपी से 2000 से 2500 रुपये ज्यादा रहने का अनुमान है|