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आम के बागों में समय रहते करें कीट व रोग प्रबंधन

इस माह आम की फसल में बौर और फल लगते समय सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है, अगर इस समय फसल बचा ली तो किसान नुकसान से बच सकते हैं।
इस साल तीसरा हफ्ता आते-आते आम के पेड़ बौर से लद चुके हैं। ऐसे में किसानों को उनकी देखभाल करने की बहुत जरूरत है। जरा ही लापरवाही से पाउडरी, गुम्मा और भुनगा रोग उनको अपनी चपेट में ले सकते हैं। तापमान बढ़ने से इस बार समय से पहले आम के पेड़ों पर बौर आ गया है। ऐसे में बीमारी और कीट भी हमलावर हो गए है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को समय पर आम की बौर को रोगमुक्त करने की सलाह द है।

इस समय आम के पेड़ों में बौर लगे होते हैं और इसी समय बौर में खर्रा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। अगर 10 प्रति से अधिक पुष्पगुच्छों पर खर्रा रोग दिए तो टेबुकोनाज़ोल $ ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन (0.5 ग्राम/लीटर) या हेक्साकोनाजोल (0.1 मिली/लीटर) या सल्फर (0.2 ग्राम/लीटर) का छिड़काव किया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों में आम के बौर पर थ्रिप्स का प्रकोप देखा गया है। अगर आम के बगीचों में इसका प्रकोप देखा जाता है तो मोनोक्रोटोफॉस (1.5 मिली./लीटर) या थायामेथोक्साम (0.03 ग्राम/लीटर) के स्प्रे कर इसका प्रबंधन करें।

मिज कीट का प्रकोप जनवरी महीने के अंत से लेकर जुलाई महीने तक कोमल प्ररोह तनों और पत्तियों पर होता है। सबसे अधिक नुकसान मिज कीट बौर, छोटे फलों को पहुंचाते हैं। इसका कीट के लक्षण बौर के डंठल, पत्तियों की शिराओं पर धब्बे के रूप में दिखते हैं।

इनके नियंत्रण के लिए आवश्यकतानुसार डायमेथोएट (30 प्रतिशत सक्रिय तत्व) का छिड़काव करें। आम का भुनगा कीट, जिसे फुदगा या लस्सी कीट भी कहा जाता है, बौर, पत्तियों और फलों के मुलायम हिस्सों से रस चूस लेते हैं, जिससे अच्छी गुणवत्ता के फलों की उपज प्रभावित होती है।

इस कीट के नियंत्रण के आवश्यकतानुसार इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें। फफूंदी से होने वाले झुलसा रोग के संक्रमण से फूल और अविकसित फल झड़ने लगते हैं,। इस रोग का प्रकोप हवा ज्यादा नमी के कारण होता है।

इस साल तीसरा हफ्ता आते-आते आम के पेड़ बौर से लद चुके हैं। ऐसे में किसानों को उनकी देखभाल करने की बहुत जरूरत है। जरा ही लापरवाही से पाउडरी, गुम्मा और भुनगा रोग उनको अपनी चपेट में ले सकते हैं। तापमान बढ़ने से इस बार समय से पहले आम के पेड़ों पर बौर आ गया है। ऐसे में बीमारी और कीट भी हमलावर हो गए है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को समय पर आम की बौर को रोगमुक्त करने की सलाह दी है।

 

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