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महीना भर पहले अंडे देने को मजबूर कई पक्षी

बसंत आते ही वातावरण में अपने आप ही एक अनोखी सी ताजगी आ जाती है। मौसम सुहाना हो जाता है, पेड़-पौधों पर हरियाली छा जाती है, पक्षी कलरव करने लगते हैं, नए घोसले बनाते हैं और जीवन को आगे बढ़ाते हैं। साल-दर-साल समय के साथ सब कुछ ऐसे ही चलता आ रहा है, लेकिन बढ़ता इंसानी हस्तक्षेप अब इसमें बदलाव करने लगा है।

बदलाव का एक ऐसा ही सबूत हाल में सामने आया है, जब पक्षियों पर किए एक अध्ययन से पता चला है कि पक्षियों की कई प्रजातियां एक सदी पहले की तुलना में करीब महीना भर पहले अपने अंडे दे रही हैं। साथ ही वो पहले के मुकाबले कहीं जल्द अपने घोसलों को तैयार करने को मजबूर हैं। यह अध्ययन जर्नल ऑफ एनिमल इकोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

अपने इस शोध में शोधकर्ताओं ने अमेरिका में पक्षियों की 72 प्रजातियों के घोसलों और अंडे देने के समय का अध्ययन किया है। इसके लिए उन्होंने फील्ड म्यूजियम में संरक्षित घोसलों और अंडों के 1872 से 2015 के 143 वर्षों के रिकॉर्ड और वर्तमान के 3,000 से ज्यादा रिकॉर्ड का तुलनात्मक अध्ययन किया है। साथ ही उन्होंने जलवायु परिवर्तन के असर को समझने के लिए वातावरण में घोसलों के निर्माण के समय कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर कितना था इसका भी अध्ययन किया है।

शोध के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके अनुसार बसंत के समय में आते बदलाव के चलते करीब 33 फीसदी प्रजातियां, एक सदी पहले की तुलना में करीब 25.1 दिन पहले अपने अंडे दे रही हैं। वहीं प्रवासी पक्षियों के अंडे देने के समय में करीब 18 दिनों का अंतर आया है। वहीं यदि सभी प्रजातियों पर पड़ते असर को देखें तो इनके अंडे देने का निर्धारित समय सामान्य से 10 दिन आगे खिसक गया है।

वैज्ञानिकों की मानें तो बढ़ते उत्सर्जन के साथ-साथ वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है जिससे जलवायु में बदलाव आ रहा है। जलवायु में आता यह बदलाव अन्य मौसमों के साथ ही बसंत ऋतु को भी प्रभावित कर रहा है। इसका असर इन पक्षियों के व्यवहार और आदतों पर भी पड़ रहा है। यही वजह है कि ब्लूजे, येलो वॉरब्लर और फील्ड स्पैरो (गौरैया) जैसे पक्षियों की कई प्रजातियां करीब 25.1 दिन पहले ही अपने घोसलों को तैयार कर अंडे दे रही हैं।

यदि बढ़ते तापमान को देखें 1880 से हमारे ग्रह का औसत तापमान 0.08 डिग्री सेल्सियस की दर से बढ़ रहा है। वहीं 1981 के बाद से यह दर बढ़कर दोगुनी हो चुकी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक वैश्विक तापमान में पहले ही एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो चुकी है।

वहीं संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी “एमिशन गैप रिपोर्ट 2020” के अनुसार सदी के अंत तक तापमान में होती यह वृद्धि 3.2 डिग्री सेल्सियस के पार चली जाएगी। ऐसे में इसके कितने विनाशकारी परिणाम सामने आएंगे, उसका अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक हालांकि तापमान में कुछ डिग्री का परिवर्तन बहुत छोटा लगता हो लेकिन इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं। इन बदलावों का मतलब है कि पेड़-पौधों के फैलने और कीड़ों के पनपने के समय में अन्तर आ जाएगा। यह ऐसी चीजें है जो पक्षियों के भोजन की उपलब्धता को प्रभावित कर सकती हैं।

शोध में जिन पक्षियों का अध्ययन किया है वो कीटों पर भी निर्भर हैं। इन कीटों का मौसमी व्यवहार जलवायु से प्रभावित हो रहा है। ऐसे में पक्षियों की कई प्रजातियां अनुकूलन के लिए अपने अंडे देने के समय में बदलाव कर रही हैं।

ऐसा ही कुछ प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी सामने आया था जिसके अनुसार बढ़ते तापमान के चलते यूनाइटेड किंगडम में फूल करीब एक महीना पहले खिलने लगे हैं। वहीं उत्तरी अमेरिका में पक्षियों को लेकर जर्नल साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि 1970 से लेकर अब तक कनाडा और अमेरिका में जंगली पक्षियों की करीब 29 फीसदी आबादी घट चुकी है, जिनकी कुल संख्या करीब 300 करोड़ है।

यह अध्ययन एक बार फिर इस बात को पुख्ता कर देता है कि बढ़ता तापमान जीवों के व्यवहार और आदतों पर व्यापक असर डाल रहा है और इन सबके लिए हम इंसान जिम्मेवार हैं। हमारी बढ़ती महत्वाकांक्षा इन निरीह जीवों को अपना निशाना बना रही है।
** डाउन टू अर्थ से

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