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उत्तर प्रदेश में मक्का और ईख की खेती के लिए किसानों को मिलेगी सब्सिडी

सूबे में एथेनॉल के अधिक उत्पादन के लिए सरकार मक्का और ईख की खेती पर बढ़ावा दे रही है। मक्का और गन्ना, एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने में मददगार हैं।
इस योजना के तहत एक लाभार्थी को अधिकतम दो हेक्टेयर तक अनुदान का लाभ प्रदान किया जाएगा। इस योजना का लाभ राज्य के हर जिले के किसान उठा सकते हैं। सरकार की इस योजना से राज्य के गन्ना और मक्का किसानों को काफी फायदा होगा। राज्य में उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आय भी बढ़ेगी।

सरकार राज्य में मक्के की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार एक नई योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना के तहत राज्य में गन्ने का क्षेत्रफल दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र तथा मक्के का उत्पादन 11 लाख मीट्रिक टन से अधिक बढ़ाने की योजना है। इस योजना के तहत एक लाभार्थी को अधिकतम दो हेक्टेयर तक अनुदान का लाभ प्रदान किया जाएगा। इस योजना का लाभ राज्य के हर जिले के किसान उठा सकते हैं। सरकार की इस योजना से राज्य के गन्ना और मक्का किसानों को काफी फायदा होगा। राज्य में उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आय भी बढ़ेगी।

मक्के की खेती पर सरकार किसानों को मक्का की किस्म के अनुसार सब्सिडी का लाभ देगी। योजना के तहत किसानों को देशी मक्का, संकर मक्का और पॉप कॉर्न मक्का की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 2400 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। जबकि बेबी कॉर्न और मक्का की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 16,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा मीठी मक्का की खेती के लिए सरकार किसानों को प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपये का अनुदान देगी। यह योजना यूपी सरकार द्वारा राज्य में चार वर्षों तक चलायी जायेगी। इस प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग ने हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी है।

गन्ने की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी का लाभ भी दिया जाता है। इसके तहत किसानों को गन्ना बीज, भूमि उपचार और धान प्रबंधन के लिए प्रति हेक्टेयर कुल 900 रुपये का अनुदान दिया जाता है। पहले इस योजना के तहत गन्ना बीज, भूमि उपचार और धान प्रबंधन के लिए अलग-अलग अनुदान दिया जाता था।

शासनादेश के मुताबिक इस योजना का लाभ प्रदेश के सभी जिलों के किसानों को दिया जाएगा। हालांकि, इस योजना के लिए मुख्य रूप से राज्य के 13 जिले जिनमें बहराईच, बुलन्दशहर, कन्नौज, उन्नाव, हरदोई, गोंडा, कासगंज, एटा, फर्रुखाबाद, बलिया शामिल हैं। जिन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मक्का की फसल के लिए चुना गया है।

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