उत्तराखंड की सीमा से सटे हल्द्वानी शहर और करीबी उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में माहौल ठीक नहीं है। अमनपसंद लोग दोनों शहरों में लोग तनाव में हैं। उत्तराखंड के हल्द्वानी और उत्तर प्रदेश के बरेली में भड़की हिंसा से माहौल खराब है। उत्तराखंड सरकार ने प्रभावित क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया है। अब दोनों राज्यों में बवाल और हिंसा को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी की सर्वेसर्वा मायावती ने भी सरकार से इन घटनाओं की जांच की मांग की है।
नैनीताल जिले की दहलीज पर बसा हल्द्वानी शहर अब प्रदर्शन, पथराव और प्रशासनिक ढील का गवाह है। तीन लोगो के जान गवाने और करीब सवा सौ लोगों के घायल होने वाले की ख़बरों के बीच इस आबादी में प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। बेकाबू हालात का अंदाज उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के ऐलान से लगाया जा सकता है।
हल्द्वानी में नजूल की एक ज़मीन पर बने मदरसे को ढहा देने की सरकारी अमला के बुलडोजर चलाने के विरोध से हुआ। और बरेली में 9 फरवरी को जुमे की नमाज के बाद बवाल हो गया। मौलाना तौकीर रजा के समर्थन में आई भीड़ ने अचानक हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान पथराव भी हुआ। फिलहाल, मामला नियंत्रण में है। मौलाना तौकीर रजा विश्व में मुस्लिम समुदाय के बरेलवी संप्रदाय के अगुआ शख्सियत हैं। उत्तर भारत में मुसलमानों के बरेलवी और देवबंदी परंपरा के लोग ज्यादा हैं।
फिलहाल,पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आईजी निलेश आनंद भरणे का कहना है कि फिलहाल वहां पर कार्रवाई चल रही है। मुकदमे दर्ज किए गए हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी हो रही है। पुलिस की तैयारियां 30 जनवरी से चल रही थीं। ऐसे में पुलिस की असफलता नहीं माना जा सकता। लेकिन, फिर भी यदि कहीं पुलिस के स्तर से लापरवाही हुई है तो इसकी भी अलग से जांच की जाएगी।
दूसरी ओर यह भी कहा गया है कि हाल में पुलिस विभाग में चुनावों के मद्देनजर बड़े पैमाने पर तबादले हुए। इससे जिले में लगभग हर अधिकारी और कर्मचारी इधर से उधर हो गए। सीओ, एसपी सिटी समेत सभी कर्मचारी इस जगह से अनजान थे।
बहरहाल हल्द्वानी में इंटरनेट बंद है। तनाव है। लोग अपने घरों में अंदेशों को लेकर बैठे हैं। सरकारी दावा है कि हालात काबू में है। शहर में पुलिस, पीएसी और बुलायी गयी पैरा मिलिट्री फोर्स तैनात है।