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क्या भारत रत्न देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी समीकरण साध रहे हैं?
क्या भारत रत्न देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी समीकरण साध रहे हैं?

क्या भारत रत्न देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी समीकरण साध रहे हैं?

भारत में लोकसभा चुनाव होने है। उम्मीद है कि चुनाव आयोग मार्च 2024 तक आम चुनावों का ऐलान करके आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू कर देगा। चुनाव से पहले महत्वाकांक्षी योजनाओं का शिलान्यास, आंधी अधूरी या लगभग पूरी हो चुकी योजनाओं का उद्घाटन समारोह और लोकलुभावन घोषणाएं जारी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर में रैली करके इन चुनावों का बिगुल बजा चुके हैं। उधर, ग्रहमंत्री ने चुनाव आयोग की घोषणा से पहले पूरे देश में यूसीसी को लागू करने संबंधी बयान दिया है।

राम मंदिर के उद्घाटन के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से चुनावी मोड में है। पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता तीसरी बार मोदी-सरकार बन जाने के आत्मविश्वास से लबालब भरे हुए हैं। इधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के दिग्गजों को भारत रत्न सम्मान देकर लोगों की चर्चा का विषय बदल कर अखबारों की सुर्खियां बदली हैं।

सिर्फ एक पखवाड़े के भीतर ही कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान के एलान को चुनावी राजनीति से जोड़ा जा रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने मणिपुर से मुंबई तक की अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा का सिलसिला जारी रखा है।

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च सम्मान है। कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी के बाद मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, किसानों के हमेशा हिमायती रहे चौधरी चरण सिंह और भारत में हरित क्रांति के अगुआ कहे जाने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को भी भारत रत्न देने का एलान किया है।

भारत रत्न देने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 18(1) में है। 1954 में इस पुरस्कार की स्थापना हुई और नियमों के मुताबिक़ एक साल में तीन ही पुरस्कार दिए जाते हैं। लेकिन मोदी सरकार ने इस बार देश की पांच हस्तियों को भारत रत्न देने का एलान किया है। इससे पहले सिर्फ एक बार 1999 में चार लोगों को ये सम्मान दिया गया था।

इस बार ऐन चुनाव से पहले पांच हस्तियों को भारत रत्न देने के एलान पर वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं, ”ये ‘भारत रत्न’ नहीं ‘चुनाव रत्न’ हैं। चर्चा यह है कि यह सम्मान चुनावी समीकरण साधने के लिए दिए गए हैं। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न के एलान के बाद नीतीश कुमार की सरकार पलट गई। उसी तरह चौधरी चरण सिंह के लिए इसके एलान के बाद आरएलडी के जयंत चौधरी ने बीजेपी से गठबंधन के संकेत दे दिए। चौधरी चरण सिंह हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जमकर मतदान करने वाली जाट बिरादरी के थे। हालांकि वह उत्तर प्रदेश के नूरपुर गांव के थे। गौरतलब है कि राजस्थान में जाट आरक्षण के लिए जारी आन्दोलन और किसानों के दिल्ली में पड़ाव डालने की ख़बरों से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

यहां यह भी गौरतलब है कि एमएस स्वामीनाथन हरित क्रांति और वर्गीज़ कुरियन श्वेत क्रांति के लिए जाने जाते हैं। लेकिन किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य न देना और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न का ऐलान करना, एक तरह की प्रतीकवाद की राजनीति ही कही जाएगी।

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