अयोध्या धाम में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान और इसके बाद मंदिर में उपयोग होने वाले और श्रीचरणों में चढ़ने वाले फूलों के कारण मंदिर परिसर में गंदगी न हो, इसके लिए अयोध्या नगर निगम ने अनूठी पहल की है।
इस पहल के तहत अयोध्या धाम के सभी मंदिरों में चढ़े फूलों को प्रॉसेस करके धूपबत्ती बनाई जा रही है। प्राण प्रतिष्ठा में बड़ी तादाद में चढ़ने वाले फूलों को भी नगर निगम इसी तरह प्रॉसेस करेगा, जबकि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद भी मंदिर परिसर में उपयोग होने वाले फूलों से धूपबत्ती बनाई जाएगी, ताकि मंदिर को न सिर्फ स्वच्छ रखा जा सके, बल्कि फूलों की प्रॉसेसिंग के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार से भी जोड़ा जा सके। एक आंकलन के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या धाम के सभी मंदिरों से प्रतिदिन 9 मीट्रिक टन फूल वेस्ट रिसाइकिल किए जाने की उम्मीद है, जबकि अभी यह 2.3 मीट्रिक टन ही हो रहा है।
अयोध्या विकास प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार 21 अक्टूबर 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से बनी बांस रहित धूप को लॉन्च किया था। उन्होंने बताया कि यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार, अयोध्या नगर निगम और नमामि गंगे कार्यक्रम के समर्थन और मार्गदर्शन के कारण संभव हो पाई है। इसके लिए फूल नाम के संगठन को जिम्मेदारी दी गई है जिसने फूलों के कचरे के संग्रह और पुनर्चक्रण(रिसाइकिल ) के लिए अयोध्या नगर निगम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सौम्य चंदन तेल की सुगंध से युक्त ये धूप पूरी दुनिया में राम जन्म भूमि का आशीर्वाद ले जा रही है। लाखों भारतीयों के दैनिक पूजा अनुष्ठानों के लिए तेजी से उपलब्धता के लिए फूल द्वारा क्यू-कॉम प्लेटफॉर्म और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उत्पाद लॉन्च किए गए हैं।
प्राण प्रतिष्ठा से पहले अभी वर्तमान में अयोध्या धाम से प्रतिदिन 2.3 मीट्रिक टन अपशिष्ट फूलों का पुनर्चक्रण किया जा रहा है। इसका प्लांट 8000 वर्ग/फीट क्षेत्र में फैला हुआ है। वहीं 20 महिलाएं इस कार्य में लगी हैं।
बताया गया कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखते हुए आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के दृष्टिगत भविष्य की कार्ययोजना निर्धारित की गई है। इसके तहत प्रति दिन 9 मीट्रिक टन पुष्प अपशिष्ट का पुनर्चक्रण सुनिश्चित किया जाएगा, जबकि इसके माध्यम से 275 महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा।
मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अगरबत्ती बनाने की प्रक्रिया देखने, विधि सीखने और घर पर हाथ से बनी अगरबत्ती ले जाने का अनुभव केंद्र जैसी व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी। इसके अतिरिक्त, तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि के साथ अधिक संख्या में फूलों के पुनर्चक्रण के लिए बड़े संयंत्र की स्थापना भी होगी।