राज्यभर में बारिश कम होने के कारण 21 जिलों के जल स्तर में 10 फुट तक की गिरावट आयी है| ऐसे में लोगों को कई जगहों पर पानी को लेकर परेशानी बढ़ी है| राज्य में जहानाबाद, गया , औरंगाबाद व अरवल जैसे जिलों के कुछ एक स्थानों पर हैण्डपंप भी सूख रहे हैं|
राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2019 के आंकड़ों को देखें, तो कुछ- एक जिलों में ही जल स्तर नीचे गया है| इस वर्ष के आंकड़ों का मिलान 2022 से किया जाये, तो राज्य के गोपालगंज में दो फुट तीन इंच तक जल स्तर नीचे गया है| अन्य जिलों में पानी का स्तर ठीक है, लेकिन 2021 के मुताबिक स्थिति 2022 में काफी खराब है|
पाटलिपुत्र से सांसद राम कृपाल यादव ने लोकसभा में बिहार में सूखे जैसी स्थिति का मुद्दा उठाया और केंद्र से कहा कि वह राज्य में अनियमित और कम बारिश से होने वाले प्रभाव का आकलन करने के लिए तुरंत एक उच्च स्तरीय टीम भेजे| शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाने वाले श्री यादव ने भी केंद्र से चारे की कमी के कारण किसानों के साथ-साथ मवेशियों को राहत और राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया|
एक रिपोर्टके मुताबिक जुलाई में बिहारशरीफ में तीन फुट 11 इंच, हिलसा चार फुट छह इंच, गया 10 फुट आठ इंच, औरंगाबाद पांच फुट चार इंच, जहानाबाद आठ फुट एक इंच, अरवल पांच फुट सात इंच, रोहतास दो फुट नौ इंच, कैमूर छह फुट 11 इंच, मुंगेर एक फुट सात इंच, जमुई एक फुट चार इंच, बेगूसराय तीन फुट दो इंच, दरभंगा एक फुट नौ इंच, पटना पूर्वीदो फुट पांच इंच, पटना पश्चिम चार फुट, बक्सर 11 इंच, छपरा तीन फुट तीन इंच, सीवान एक फुट दो इंच, गोपालगंज एक फुट 10 इंच, मधुबनी एक फुट एक इंच , सहरसा आठ इंच तक गया है|
ग्रामीण इलाकों का जलस्तर शहर की तुलना में बेहतर है। औसत जलस्तर 40 से 60 फीट के बीच है। पर इसमें भी गिरावट आ रही है। विशेषज्ञों की मानें तो 70 फीट तक चापाकल पानी खिंचने में सक्षम है। उसके बाद
हैण्डपंप जवाब दे जाएगा। ग्रामीण इलाकों में 10 साल बाद 70 फीट पर जलस्तर होगा। जिससे गांवों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।