गर्मी के मौसम में हरी तोरई की सब्जी हर रसोई की पसंदीदा है| लेकिन खेत में देर से बोई गई फसल में कई रोगों लग जाते हैं| इनकी रोकथाम के उपाय संभव हैं| इन रोगों में कई हैं–
तोरई के पौधों पर इस रोग का असर पौधों के शुरूआती दिनों में अंकुरती होने के तुरंत बाद दिखाई देता है| इस रोग का किट उपर से पौधों की अंकुरित पत्तियों को खा जाता है| जबकि इसकी सुंडी पौधों की जड़ों को खाकर उन्हें नष्ट कर देती है| इस रोग के कीटों का रंग चमकीला लाल होता है| इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर नीम के तेल या नीम के पानी का छिडकाव बीज के अंकुरण के साथ ही कर देना चाहिए|
फल मक्खी
फल मक्खी का रोग पौधों पर फल लगने के दौरान देखने को मिलता है| इस रोग के कीट पौधों की पतियों और फलों पर अपने अंडे देते हैं| जिनसे जन्म लेने वाली सुंडी इसके फलों को नुकसान पहुँचाती है| इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर नीम के काढ़े या गौमूत्र को माइक्रो झाइम के साथ उचित मात्रा में मिलाकर पौधों पर छिड़कना चाहिए|
तोरई के पौधों पर चूर्णी फफूंदी का रोग ऐरीसाइफी सिकोरेसिएरम नामक फफूंद की वजह से फैलता है| इस रोग के लगने पर पौधे की पत्तियों का रंग सफ़ेद दिखाई देने लगता है| जिससे पौधा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करना बंद कर देता है| और कुछ दिनों बाद पत्तियां पीली पड़कर सुख जाती है| इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर कार्बेन्डाजिम या एन्थ्रेक्नोज की उचित मात्रा का छिडकाव पौधों पर करना चाहिए|
पत्ती धब्बा
पौधों पर पत्ती धब्बा रोग के लगने पर पौधे की पत्तियों पर भूरे पीले रंग के छोटे छोटे धब्बे दिखाई देते हैं| जिनकी रोकथाम नही करने पर इनका आकर और बढ़ जाता है| जिससे पत्तियों का रंग भूरा काला दिखाई देने लगता है| इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर मन्कोजेब या जिनेब की उचित मात्रा का छिडकाव करना चाहिए|
मोजैक
तोरई के पौधे पर लगने वाला ये एक विषाणु जनित रोग है| इस रोग के लगने पर पत्तियों की बढावा रुक जाती है| जिससे पत्तियां मुड़ने लगती है| जिसका असर पौधे की पैदावार पर देखने को मिलता है| इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर नीम के तेल का छिडकाव करना चाहिए|
जड़ सड़न
तोरई के पौधों पर जड़ सडन का रोग पानी भराव या वायरस की वजह से लगता है| इस रोग के लगने पर पौधे का तना जमीन के पास से काला पड़कर सड़ने लगता है| जिससे पत्तियां मुरझाने लगती है| और कुछ दिन बाद पौधा सुखकर नष्ट हो जाता है| इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों की जड़ों में बाविस्टीन या मेन्कोजेब की उचित मात्रा को पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़कना चाहिए|