आवश्यक जड़ी-बूटियों की गुणवत्तापूर्ण खेती के माध्यम से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाएगा। केंद्र सरकार के नेशनल मेडिसन प्लांट बोर्ड नगरोटा बगवां में जल्द प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट स्थापित कर रहा है। इसके लिए औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। प्रदेश के तीन जगह ये प्रोजेक्ट स्थापित किए जाएंगे।
यह परियोजना सर्वप्रथम नगरोटा बगवां उपमंडल की ग्राम पंचायत पटियालकड़ में स्थापित होगा। भारतीय चिकित्सा पद्धति, हर्बल गार्डन एंड हरवेरियम आयुष अनुसंधान संस्थान जोगिंद्रनगर के माध्यम से यह परियोजना परवान चढ़ेगी।
संस्थान प्रभारी एवं परियोजना अधिकारी डॉ. उज्ज्वल दीप ने बताया कि संस्थान की नगरोटा बगवां के एसडीएम मनीष शर्मा, वन अधिकारी और पंचायत प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त बैठक में वन अधिकारी और पंचायत की सहमति से इलाका चुना गया है। इस परियोजना के तहत प्राथमिकता के आधार पर लुप्तप्राय: हर्बल तिरमिरा की उपज के लिये चुना गया है। इसके लिए एक हेक्टेयर भूमि को विकसित कर तिरमिरा के लगभग दो हजार पौधे रोपे जाएंगे। सोलर डायर, ग्राइंडर व श्रेडर जैसी सेमी प्रोसेसिंग मशीनें भी स्थापित होंगी।
यह फल जंगलों में पाया जाता है, यह फल पकने के बाद बहुत स्वादिष्ट हो जाता है। इस फल को हिंदी में टिमरू फल के नाम से जाना जाता है। टिमरू फल दिखने में पीला नारंगी या लाल हो सकता है। टिमरू फल गर्मियों के समय में आता है। हिमालय के पहाड़ी इलाकों में इसे टिमरू , तिरमिरा, टिमबुलु आदि नाम से पुकारा जाता है | औषधिय महत्व का यह पेड़ अब लुप्त होने के कगार पर है|
बोलचाल की भाषा में इसे पहाड़ी नीम जिसे तिमूर के नाम से भी जाना जाता है। यह खास तौर पर हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में पाई जाती है। इस पौधे का वैज्ञानिक नाम जेनथोजायलम अर्मेटम है। इस पेड़ की पत्तियां, टहनी, बीज और फल सभी फायदेमंद होते हैं। इसके प्रयोग से हाई बीपी से लेकर कई छोड़ी-बड़ी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।