करीब ढाई महीने से रूस और युक्रेन देशों के बीच जंग जारी है| जंग में फंसे दोनों मुल्क भारत सहित कई देशो की गेहूँ, मक्का, सूरजमुखी के बीज व तेल की जरूरतों को पूरा करते हैं | एक किलो चावल पैदा करने में करीब 3000 लीटर पानी की जरूरत होती है| इसी लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिक मक्का, बाजरा, सूरजमुखी, सरसों जैसी फसलें बोने पर जोर दे रहे हैं|
दुनिया में मक्का की माँग बनी हुई है| भारत की मंडियों में मक्का के अच्छे दाम मिलने से किसान को लाभ नज़र आ रहा है|
देश में मक्का के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 1870 रुपये प्रति कि्वटल है जबकि अलग-अलग राज्यों में 2200 से 2400 रुपये कि्वंटल तक बिक रहा है| मुर्गी पालन उद्योग से लेकर बेबी कार्न तक यूरोपीय देशों में मक्का की अच्छी मांग है| किसानो का मानना है कि इस साल मक्का की खेती फायदा देगी |
मक्का की फसल को हरा चारा के रूप में भी उपयोग किया जाता है। एक एकड़ में मक्का की लगभग 16 कि्वटल पैदावार मिलती है, जो करीब तीस हजार रुपए में बिकती है। एक एकड़ में मक्का उत्पादन पर लागत लगभग पांच हजार रुपए आती है। इस प्रकार किसान को एक एकड़ मक्का बिजाई से करीब 25 हजार रुपए का शुद्ध लाभ प्राप्त होता है|
धान से तुलना की जाए तो एक एकड़ में धान उत्पादन पर लागत करीब 25 हजार रुपए आती है और बिक्री 40 से 45 हजार रुपए होती है। इस प्रकार धान से प्रति एकड़ शुद्ध लाभ लगभग 20 हजार रुपए मिलता है।
धान उत्पादन में कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जाता है और पानी की खपत भी अधिक होती है। यह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। लिहाजा किसानों को जल संरक्षण तथा फसल से अधिक मुनाफे के लिए मक्का उत्पादन की ओर आगे बढऩा चाहिए। जल संकट की समस्या से निपटने में किसानों को अधिकाधिक सहयोग करना चाहिए। इसके लिए विशेष रूप से धान की फसल का मोह त्यागना होगा। उन्होंने कहा कि रूचि लेकर मक्का की खेती की जाए तो निश्चित रूप से लाभकारी सिद्ध होगी।
वर्तमान में भारत दुनिया के शीर्ष मक्का निर्यातक देशों में शामिल है। अमेरिका और चीन के बाद भारत मक्का का शीर्ष उत्पादक है। इसके बावजूद भारत की सिर्फ 25% जनसंख्या ही इसका खाद्य फसल के तौर पर इस्तेमाल करती है।