हरियाणा में कपास की खेती करने वाले किसानों को अब सरकार पैसा देगी। लेकिन इसके लिए शर्त ये है कि किसानों के केवल देशी कपास की किस्म भी लगानी पड़ेगी। किसानों को देशी कपास की बुआई करने पर सरकार द्वारा विशेष तौर पर तीन हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। इससे किसान तो मालामाल होगा ही साथ ही फसल भी बगैर यूरिया की होगी। सरकार के इस फैसले से किसान भी काफी खुश है। हालांकि ये प्रोत्साहन राशि उन्हीं किसानों को मिलेगी जो देशी कपास की फसल की बिजाई करेगा।
सूबे में किसान बीटी कॉटन के बजाय देसी कंपास की खेती करें। सरकार अपनी योजनाओं से किसानों को देसी कपास की तरफ मोड़ना चाहती है। यह खेती में परंपरागत तरीके अपनाने जैसा है। देसी कपास की खेती करने के दौरान सिंचाई में पानी की बचत के अलावा कीटनाशकों की वजह से होने वाले खर्च को बचाने की कोशिश भी है।
विदेशी बीज कंपनियों के बीटी कॉटन बीजों से उगे पौधे सरल बार गुलाबी सुंडी कीड़े से प्रभावित होती है। किसानों को इन कीड़ों को भी भगाने के लिए कीटनाशकों पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है। इससे कपास की खेती की लागत बढ़ जाती है। हरियाणा में भू-जल स्तर नीचे पहुंच गया है। इस लिए सरकार मोटे अनाज और देसी कपास की खेती पर जोर दे रही है।
हरियाणा में कपास की खेती करने वाले किसानों को अब सरकार पैसा देगी। लेकिन इसके लिए शर्त ये है कि किसानों के केवल देशी कपास की किस्म भी लगानी पड़ेगी। किसानों को देशी कपास की बुआई करने पर सरकार द्वारा विशेष तौर पर तीन हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। इससे किसान तो मालामाल होगा ही साथ ही फसल भी बगैर यूरिया की होगी। सरकार के इस फैसले से किसान भी काफी खुश है। हालांकि ये प्रोत्साहन राशि उन्हीं किसानों को मिलेगी जो देशी कपास की फसल की बिजाई करेगा।
हरियाणा देसी कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए 31 अगस्त तक रजिस्ट्रेशन करने का अभियान चलाया था।देशी कपास लगाने वाले किसानों को हरियाणा सरकार प्रति एकड़ 3 हजार रुपये की वित्तीय मदद देगी। सूबे में अकेले भिवानी जिले में ही किसान दो हज़ार एकड़ में बीटी कॉटन की बुवाई करते हैं। सरकार की मदद योजना से अब किसानों ने देसी कपास बीजने का फैसला किया है।Images Credit – Google