tag manger - हरियाणा : किसानों के 111 दिन से जारी धरना-प्रदर्शन के बावजूद फसल बीमा की क्षति पूर्ति नहीं – KhalihanNews
Breaking News

हरियाणा : किसानों के 111 दिन से जारी धरना-प्रदर्शन के बावजूद फसल बीमा की क्षति पूर्ति नहीं

हरियाणा में किसानों ने फसलों का बीमा करवाया था। मौसम की वजह खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गयीं। किसानों ने बीमा की भरपाई करने की मांग उठाई। बीमा कंपनी ने किसानों की मांग को अनसुना कर दिया। नाराज़ किसानों ने एकजुट होकर अपनी मांग के समर्थन में धरना दिया। बाद में बेमियादी अनशन करके अपनी नाराज़गी जताई।।

हरियाणा के सिरसा में बीमा क्लेम की मांग को लेकर किसान लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले 111 दिनों से धरना जारी है। बीमा क्लेम की मांग को लेकर गांव नारायण खेड़ा में जलघर की डिग्गी पर भी चार किसान चढ़े हुए हैं। बीती 17 अगस्त को किसानों ने नेशनल हाईवे पर भावदीन टोल प्लाजा को जाम कर दिया। सैकड़ों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रालियों को नेशनल हाईवे पर खड़ा कर दिया और वाहनों की आवाजाही बाधित कर दी।

रास्ता बंद हुआ तो सरकार की फजीहत होते ही उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने 17अगसत को इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रदर्शनकारी किसानों को उपायुक्त ने आश्वासन दिया कि जल्द ही किसानों के खातों में बीमा भरपाई का पैसा आना शुरू हो जाएगा। किसानों ने फसल बर्बाद होने के तीन महीने बाद भी भरपाई का पैसा न देने से उन्हें खाद-बीज खरीदने में कठिनाईयां आ रही हैं।

किसानों को फ़सल बीमा का आग्रह करने वाली मनोहर लाल खट्टर की सरकार की किसानों के धरना-प्रदर्शन के कारण काफी किरकिरी हुई है। सिरसा में किसानों का करीब 650 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम बकाया है। इसको लेकर किसानों का कहना है कि सरकार और बीमा कंपनियां कंप्यूटर पर एक क्लिक से बीमा प्रीमियम की राशि तो काट लेती हैं। जब फसलें खराब होती हैं तो क्लेम लेने के लिए किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ता है।

About

Check Also

गोरखपुर में बन से संबंधित पढ़ाई के लिए डिग्री और डिप्लोमा के पाठ्यक्रम की आवश्यकता के अनुरूप विभिन्न पदों पर युवाओं को नौकरी भी मिल सकेगी। साथ ही यह फॉरेस्ट्री को विकसित करने और वन संरक्षण का बड़ा माध्यम भी बनेगा। सीएम योगी शुक्रवार को गोरखपुर वन प्रभाग के कैम्पियरगंज रेंज के भारीवैसी में स्थापित दुनिया के पहले जटायु राजगिद्ध (रेड हेडेड वल्चर) संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र’ का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस केंद्र के निर्माण में योगदान देने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जब विकास प्रकृति और पर्यावरण को बचाकर किया जाएगा, तभी वह सतत विकास होगा। लंबे समय तक उसका लाभ मिलेगा। प्रकृति और पर्यावरण की कीमत पर होने वाला विकास क्षणिक और खतरनाक होता है। इसके दूरगामी परिणाम होते हैं। गिद्धराज जटायु के रामायणकालीन आख्यान का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पेस्टीसाइड के दुष्प्रभाव से पर्यावरण के संरक्षक गिद्धों की संख्या तेजी से घटी है। उनके संरक्षण के लिए यूपी और भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का पहला संरक्षण केंद्र कैम्पियरगंज में खोला गया है। खुशी की बात यह भी है कि इस केंद्र में वनटांगिया समुदाय के लोग भी केयरटेकर के रूप में नौकरी से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति और इसके जीवों को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज हम जटायु संरक्षण केंद्र के माध्यम से अपनी वैदिक और पौराणिक परंपरा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं। गिद्धराज जटायू धर्म और नई गरिमा की रक्षा के लिए रामायण काल के पहले बलिदानी थे। उन्होंने सीताजी के दुखभरे वचन को सुनकर ही जान लिया था कि यह आवाज रघुकुल तिलक श्रीराम की अर्धांगिनी का है। गिद्धराज जटायु राजा दशरथ के मित्र थे। मित्रता निभाने और नारी गरिमा की रक्षा के लिए वे निहत्थे ही रावण से भिड़ गए और खुद को बलिदान कर दिया। रामायण से हमें मित्रता, नारी गरिमा, मर्यादा, अनुशासन और वचन रक्षा की प्रेरणा मिलती है। आज के कालखंड में भी पर्यावरण की शुद्धि के लिए जो कार्य जटायु के वंशजों द्वारा किया जाता है, वह अविस्मरणीय है। जटायु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए, रामायणकालीन उनकी स्मृतियों को बनाए रखने के लिए अयोध्या में राम मंदिर के सामने गिद्धराज जटायु की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है और अब यह जटायु संरक्षण केंद्र भी उसी की कड़ी है। इस अवसर पर वन, पर्यावरण एवं जंतु उद्यान राज्य मंत्री केपी मलिक, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, विधायक विपिन सिंह, डॉ. विमलेश पासवान, प्रदीप शुक्ल, एमएलसी एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, फरेंदा के पूर्व विधायक बजरंगी सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इस जटायु संरक्षण केंद्र का शिलान्यास भी मुख्यमंत्री ने 7 अक्टूबर 2020 को किया था। राजगिद्ध जटायु की गाथा तो रामायण काल से ही सभी जानते हैं लेकिन पर्यावरणीय खतरे के चलते जटायु के वंशजों के अस्तित्व पर ही संकट आ गया। योगी सरकार ने इस संकट को दूर करने का संकल्प लिया है।

पहला फॉरेस्ट्री कॉलेज गोरखपुर में, डिप्लोमा कोर्स से युवाओं को मिलेगी की नौकरी

गोरखपुर में बन से संबंधित पढ़ाई के लिए डिग्री और डिप्लोमा के पाठ्यक्रम की आवश्यकता …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *