मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसानों को राहत देने की दिशा में एक और ऐलान किया है। उन्होंने कहां है कि किसान कर्ज राहत आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी फाइनेंशियल संस्था कर्ज वसूली के लिए दबाव नहीं दे सकेंगे। किसी भी कारण से फसल खराबा होने की हालत में बैंक कर्ज वसूली का प्रेशर नहीं बना सकेंगे। किसान की फसल खराब होने पर कर्ज माफी मांग करते हुए इस आयोग में आवेदन कर सकेंगे। आयोग सरकार को किसानों के कर्ज माफ करने या सहायता करने के आदेश कभी भी जारी हो सकते हैं।
राज्य किसान कर्ज राहत आयोग में अध्यक्ष सहित 5 मेंबर होंगे। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आयोग के अध्यक्ष होंगे। आयोग में एसीएस या प्रमुख सचिव स्तर रैंक पर रहे सेवानिवृत्त आईएएस, जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग क्षेत्र में काम कर चुके अफसर और एक कॄषि विशेषज्ञ को सदस्य बनाया जाएगा। सहकारी समितियों के अतिरिक्त निबंधक (एडिशनल रजिस्ट्रार) स्तर के अफसर को इसका सदस्य सचिव बनाया जाएगा।
किसान कर्ज राहत आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा। आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल भी 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी। सरकार किसी भी मेंबर को हटा सकेगी।
श्री गहलोत के अनुसार आयोग किसान को संकटग्रस्त घोषित कर देगा तो बैंक जमीन नीलाम नहीं कर सकेंगे। किसान कर्ज राहत आयोग को कोर्ट जैसे पावर होंगे। अगर किसी इलाके में फसल खराब होती है और इसकी वजह से किसान बैंकों से लिया हुआ कृषि कर्ज चुका नहीं पाता है तो ऐसी स्थिति में आयोग को उस किसान और क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित करके उसे राहत देने का आदेश देने का अधिकार होगा। कर्ज नहीं चुका पाने को लेकर अगर किसान आवेदन करता है या आयोग खुद अपने स्तर पर समझता है कि हालत वाकई खराब है तो वह उसे संकटग्रस्त किसान घोषित कर सकता है। संकटग्रस्त किसान का मतलब है कि उसकी फसल खराबी की वजह से वह कर्ज चुका पाने में सक्षम नहीं है। संकटग्रस्त किसान घोषित होने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा। इससे संकटग्रस्त किसानों को राहत मिलेगी।
इस आयोग के पास यह भी शक्ति होगी कि वह फसलें खराब होने पर किसी क्षेत्र या संकटग्रस्त फसल के रूप में कोई जिला आया उसके भाग को संकटग्रस्त घोषित कर सकेगा। किसान कर्ज राहत आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी।
किसान कर्ज राहत आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी।
आयोग कर्ज माफी के अलावा तीन वर्ष के लिए गठित आयोग बैंकों से भी बातचीत करेगा ।
संकटग्रस्त क्षेत्र घोषित करने के बाद आयोग के पास यह भी शक्ति होगी कि वह बैंकों से लिए गए कर्ज को समझौते के आधार पर चुकाने की प्रक्रिया भी तय करेगा। आयोग किसानों के पक्ष में कोई भी फैसला करने से पहले बैंकों के प्रतिनिधियों की भी सुनवाई करेगा। लोन को री-शेड्यूल करने और ब्याज कम करने जैसे फैसले भी आयोग कर सकेगा। किसानों को दिए जाने वाले कर्ज को लेकर प्रक्रिया तय करने और सरलीकरण के लिए भी आयोग सुझाव दे सकेगा। आयोग संकटग्रस्त क्षेत्रों में किसानों की हालात को देखते हुए सरकार को अपनी रिपोर्ट में किसानों का कर्ज माफ करने की सिफारिश भी कर सकेगा।
आयोग के फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी किसान कर्ज राहत आयोग को सिविल कोर्ट के बराबर शक्तियां दी गई है। कर्ज राहत आयोग के किसी भी फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। आयोग किसी भी अफसर या व्यक्ति को समन करके बुला सकेगा।
आयोग किसी भी क्षेत्र या फसल को संकटग्रस्त फसल के रूप में घोषित कर सकेगा। किसानों को कर्ज माफी के लिए किसान कर्ज राहत पर आवेदन करना होगा। इस कानून के तहत किसी भी कर्ज से राहत के लिए दावा करने वाला कोई भी किसान आयोग के सामने आवेदन फाइल करेगा और उसके बाद आयोग अपना फैसला करेगा।
किसान कर्ज राहत आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी फाइनेंशियल संस्था कर्ज वसूली के लिए दबाव नहीं दे सकेंगे। किसी भी कारण से फसल खराबा होने की हालत में बैंक कर्ज वसूली का प्रेशर नहीं बना सकेंगे। किसान की फसल खराब होने पर कर्ज माफी मांग करते हुए इस आयोग में आवेदन कर सकेंगे। आयोग सरकार को किसानों के कर्ज माफ करने या सहायता करने के आदेश कभी भी जारी हो सकते हैं।
किसान कर्ज राहत आयोग समय-समय पर फील्ड में जाकर बैठकें भी करेगा। आयोग ऐसी जगहों पर अपनी बैठकें करेगा, जहां पर उसे आवश्यकता महसूस होगी, लेकिन जो इलाके संकटग्रस्त है और जहां फसलें खराब हुई है वहां पर खास तौर से किसानों का पक्ष जानने और हालात का जायजा लेने के लिए आयोग के प्रतिनिधि जाएंगे। कर्ज माफी आयोग की बैठक के लिए 5 में से 3 मेंबर्स का रहना जरूरी होगा। आयोग जिलों में होने वाली बैठकों के लिए 2 या उससे ज्यादा मेंबर्स वाली न्याय पीठ का गठन करके बैठक करेंगे।
किसान कर्ज राहत आयोग के किसान को संकटग्रस्त घोषित करने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा।
किसान कर्ज राहत आयोग के किसान को संकटग्रस्त घोषित करने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा।
आयोग किसानों का कर्ज माफ करने के अलावा कर्ज को चुकाने की अवधि को बढ़ाने की सिफारिश भी कर सकेगा। इसमें शॉर्ट टर्म लोन को मिड टर्म या लॉन्ग टर्म में बदलने के लिए भी री-शेड्यूल करने का आदेश जारी कर सकेगा।
किसान कर्ज राहत आयोग के किसान को संकटग्रस्त घोषित करने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा।
आयोग किसानों का कर्ज माफ करने के अलावा कर्ज को चुकाने की अवधि को बढ़ाने की सिफारिश भी कर सकेगा। इसमें शॉर्ट टर्म लोन को मिड टर्म या लॉन्ग टर्म में बदलने के लिए भी री-शेड्यूल करने का आदेश जारी कर सकेगा। यह आयोग सेंट्रलाइज बैंकों और कॉमर्शियल बैंकों से लिए गए किसानों के कर्ज को री-शेड्यूल करने और कर्ज माफी को लेकर भी आदेश जारी कर सकेगा। ऐसे हालात में आयोग ब्याज माफी के लिए भी बैंकों को सिफारिश कर सकेगा।