राज्य ने ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, सांवा और मडुआ का उत्पादन, प्रसंस्करण और उपभोग को बढ़ाने का भी एक प्लान तैयार किया है| इसके लिए ‘यूपी मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम’ के संचालन के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है, जिसके तहत यूपी के 75 जिलों में मोटे अनाजों का रकबा बढ़ते हुए किसानों की इनकम में भी इजाफा करना है|
इस स्कीम को अगले 5 साल साल 2026-27 तक संचालित करने की प्लानिंग है, जिसके लिए 186.26 करोड़ रुपये के खर्च का प्रावधान है| मोटे अनाज की खेती को बढ़ाने के लिए बीजों की मिनी किट का निशुल्क वितरण भी शामिल है. इसके लिए कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसानों, जो पीएम किसान योजना में पंजीकृत हैं, को चुना जाएगा|
इनमें से 25% किसान अनुसूचित जाति के होंगे| साथ में मिलेट प्रोसेसिंग, पैकिंग और मार्केटिंग सेंटर की स्थापना का भी प्लान है| मिलेट उत्पादों की बिक्री के लिए मोबाइल आइटलेट और रिटेल स्टोर्स की मदद ली जाएगी|
कैबिनेट बैठक में यूपी मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम से लेकर एग्री जंक्शन स्कीम, यूपी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति और मत्स्य पालक कल्याण कोष के गठन को मंजूरी दे दी है| इसके अलावा, स्टांप शुल्क से छूट, दूसरे राज्यों से लाई कृषि उपज पर मंडी शुल्क और उपकर से छूट, बिजली आपूर्ति के लिए सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर सब्सिडी और निर्यात के लिए परिवहन सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है|
यूपी कैबिनेट ने ‘प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलंबन’ यानी एग्री जंक्शन स्कीम को अगले 5 साल के लिए संचालन की मंजूरी दे दी है| इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य किसानों की उपज को कृषि केंद्र (एग्री जंक्शन) के बैनर तले ‘वन स्टॉप शॉप’ के माध्यम से समस्त सुविधाएं उपलब्ध करवाना है. इस योजना की शुरुआत 2015-16 में की गई थी| तब से लेकर अब तक राज्य में कुल 4,311 एग्रीजंक्शन केंद्रों की स्थापना की जा चुकी है|