उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित लखीमपुर खीरी जिले में विधानसभा का उपचुनाव तय है| इस बार किसानों का जोर शत प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान कराने की मांग भी है| किसान खेत खलियान उसे लेकर गांव की चौपालों तक बकाया गन्ना भुगतान कराने में नाकाम रही उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं|
किसानों का जिले की चीनी मिलों पर लाखों रुपया बकाया है| किसानों को उनके गन्ने की रकम न मिलने से मिलने से जिले का कारोबार भी सुस्त है| गन्ने का बकाया भुगतान ना होना सिर्फ किसानों ही नहीं बल्कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं की भी चिंता का विषय है|
उत्तर प्रदेश में पेराई सत्र शुरू हो चूका है लेकिन कई चीनी मिलों द्वारा अब तक पिछले सत्र का गन्ना भुगतान नहीं किया गया है जिसको लेकर किसानों में नारजगी है।
सरकार के आकड़ों के मुताबिक, सत्र 2021-22 में उत्तर प्रदेश में 29 अक्टूबर तक, 31,933.06 करोड़ रूपये गन्ना भुगतान किया गया है |
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के जिला अध्यक्ष अंजनी कुमार दीक्षित ने बताया की लखीमपुर खीरी में बजाज ग्रुप की तीन चीनी मिले हैं, गोला, पलिया और खंभारखेड़ा। तीनों चीनी मिलों में पिछले वर्ष तक का भुगतान किसानों को नहीं मिल पाया है। चीनी मिल चालू होने जा रहे हैं और सरकार के वादे झूठ का पिटारा निकले। गन्ना एक्ट एवं कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार चीनी मिलों से भुगतान नहीं करा सकी है।
लखीमपुर खीरी जिले में एक तो बाढ़ ने किसानों को बर्बाद कर दिया दूसरी तरफ गन्ना किसान भुगतान न होने के कारण कर्ज के दलदल में चला गया है। चीनी मिल चालू हो चुकी हैं लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना रेट भी अब तक घोषित नहीं किया है जबकि ज्ञापन के द्वारा कई बार उत्तर प्रदेश सरकार से ₹450 प्रति कुंतल गन्ना रेट घोषित करने की मांग की। गन्ना अनुसंधान केंद्र शाहजहांपुर में गन्ने का लागत मूल्य लगभग ₹318 प्रति कुंतल आ रहा है अगर 3 वर्ष पहले को ही मान लें ₹300 प्रति कुंतल लागत मूल्य लेकर चलें तो गन्ने का रेट ₹450 प्रति कुंतल होना चाहिए लेकिन सरकार ने गन्ने का रेट अब तक घोषित नहीं किया है जिससे गन्ना किसान असमंजस में है।
दीक्षित ने कहा की गोला विधानसभा में उपचुनाव हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिले में आने वाले हैं। दो-दो उपमुख्यमंत्री आ चुके हैं लेकिन किसी ने भी यह नहीं बताया गन्ना किसानों का भुगतान कब होगा? अब किसानों ने मजबूरी बस मान लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के प्रति गंभीर नही है। गन्ना किसान कर्ज के दलदल में चला गया है। सरकार की जिम्मेदारी बनती है गन्ना एक्ट के अनुसार समय से गन्ना किसानों का भुगतान कराएं।