सरकार भी पांरपरिक फसलों के मुकाबले कम खर्च में अच्छा उत्पादन देने के कारण बागवानी फसलों की खेती को प्रोत्साहन दे रही है| इसी कड़ी में बिहार राज्य सरकार की तरफ से भी किसानों को विभिन्न फल और सब्जियों की खेती के लिये आर्थिक सहायता दी जा रही है| इन फलों में जामुन भी शामिल है, जिसका उत्पादन बढ़ाने के लिये राज्य के किसानों को जामुन की इकाई लागत पर 50 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर की दर से सब्सिडी दी जा रही है|
एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत जामुन की खेती पर सब्सिडी का लाभ उठाने के लिये बिहार कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइटhttp://horticulture.bihar.gov.in/पर जाकर आवेदन कर सकते हैं| जामुन की खेती के लिये आर्थिक अनुदान योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिये जिले के नजदीकी उद्यान विभाग के कार्यलय या सहायक निदेशक से भी संपर्क कर सकते हैं|
खरीफ सीजन की जलवायु को जामुन की खेती या नये बाग लगाने के लिये सबसे अच्छा समय मानते हैं| कई किसान मानसून से पहले तो कुछ बारिश के बाद नये बागों में रोपाई करते हैं| जामुन की खेती भी इसी सीजन में की जाती है| बता दें कि जामुन एक पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जिसके पेड़ का लगभग हर हिस्सा आयुर्वेदिक औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है|
बाजार में जामुन के जूस से लेकर, कॉस्मेटिक, कैंडी, चूर्ण, आयुर्वेदिक दवायें और कई खाद्य पदार्थ मौजूद हैं| इसके सेवन से मधुमेह, एनीमिया, दांत और पेट संबंधित बीमारियों में काफी फायदा मिलता है|
साथ ही ये किसानों के लिये आमदनी का बेहतरीन स्रोत है| इसकी खेती के लिये जल निकासी वाली दोमट उपजाऊ मिट्टी सबसे उचित रहती है|
अधिक गर्म और ठंड प्रदेशों को छोड़कर हर इलाके में जामुन की बागवानी की जा सकती है| किसान चाहें तो जामुन की खेती पर सब्सिडी लेकर व्यावसायिक खेती कर सकते हैं|