भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने बत्तखों की घातक बीमारी डक प्लेग की पहली स्वदेशी वैक्सीन बनाने में कामयाबी हासिल की है। मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई सेल कल्चर आधारित डक प्लेग वैक्सीन कारगर है।
आईवीआरआई के इम्यूनोलॉजी विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सत्यब्रत दंडपत ने सेल कल्चर आधारित यह वैक्सीन तैयार की है। इस स्वदेशी वैक्सीन की सबसे बड़ी खासियत इसका विदेशी वैक्सीन से सस्ता और काफी कारगर होना है।
आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि वर्तमान में डक प्लेग की जो वैक्सीन तैयार की जाती है, वह हॉलैंड स्ट्रेन से बनाई जाती है। यह स्ट्रेन 1970 के दशक में नीदरलैंड से आयतित है।
‘डक प्लेग’ से संक्रमित बत्तख के लीवर, किडनी, स्प्लीन, आंत आदि अंग पर बुरा असर पड़ता है। धीरे-धीरे यह अंग काम करना बंद कर देते हैं। संक्रमण की वजह से होने वाले आंतरिक रक्तस्राव के कारण बत्तख 5 से 7 दिनों के भीतर मर जाती हैं।
भारत में मुर्गी पालन के बाद बत्तख पालन सबसे ज्यादा किया जाता है। पशुधन जनगणना 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत में बतख की कुल आबादी 33.51 मिलियन है। बत्तख पालन भूमिहीन व गरीब छोटे किसानों की कमाई का साधन हैं। ऐसे में बत्तख पालकों को काफी आर्थिक क्षति भी होती है।