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उत्तर प्रदेश में किन्नू की भरपूर पैदावार से अपनी गरीबी दूर‌ कर सकते हैं किसान
उत्तर प्रदेश में किन्नू की भरपूर पैदावार से अपनी गरीबी दूर‌ कर सकते हैं किसान

उत्तर प्रदेश में किन्नू की भरपूर पैदावार से अपनी गरीबी दूर‌ कर सकते हैं किसान

किन्नू पीला और रसीला ऐसा फल है जिसे संतरे का बड़ा भाई कहा जाता है। हड्डियों को मजबूत बनाने और खून पैदा करने वाले किन्नू को पंजाब और राजस्थान के पंजाब व हरियाणा की सीमा को छूने वाले श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अबोहर, फाजिल्का, अनूपगढ़, सिरसा, डबवाली जैसे इलाकों के साथ पंजाब के कुछ जिलों में बड़े पैमाने पर किन्नू उगाया जाता है।

पंजाब और राजस्थान के हनुमानगढ़ व‌ श्रीगंगानगर और अबोहर से बड़ी तादाद में किन्नू बांग्लादेश निर्यात किया जाता है। श्रीगंगानगर से इसी वजह से बांग्लादेश के लिए किन्नू स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी। बीते साल बांग्लादेश सरकार ने एक किलो पर आयात शुल्क बढ़ा दिया गया। और इस बार बांग्लादेश में राजनीतिक फेर-बदल की वजह से गतिरोध आया है। व्यापारियों ने किन्नू की ज्यादा मांग वाली बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद जैसे महानगरों का रुख किया है।

किन्नू की खेती उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों, पंजाब, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में की जाती है. इसके सेवन से शरीर में खून बढ़ता है। हड्डियों को भी ये काफी फायदा पहुंचाता है।

किन्नू का पौधा बीज से निकलने के 60-65 दिनों के अंदर फल देने लगता है। आम तौर पर, यह 2-3 साल की उम्र में फल देना शुरू कर देता है। किन्नू के पेड़ को ज़्यादा फल देने के लिए, उसे पर्याप्त धूप और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में लगाना चाहिए।

किन्नू का पेड़ गर्म जलवायु में 35 फ़ुट (11 मीटर) तक ऊंचा हो सकता है। किन्नू के पेड़ बहुत उत्पादक होते हैं और एक पेड़ से 1,000 फल मिलना आम बात है.

किन्नू का फल जनवरी या फ़रवरी में पकता है। किन्नू का छिलका आसानी से उतर जाता है और इसमें रस की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है.

किन्नू निम्बू-वंश का एक गोलाकार फल है.

इसमें विटामिन सी और शर्करा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

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