भारत में पाम ऑयल की खपत बड़े पैमाने पर होती है। इस तरह देश में हर साल अरबों रुपये का पाम ऑयल आयात होता है। इस खपत के मद्देनजर भारत पर निर्यातक देशों जैसे मलेशिया और इंडोनेशिया से आयात पर आने वाले खर्च को कम करने के लिए भारत सरकार, देश में ही बड़े पैमाने पर ताड़ की खेती कराने का प्रयास कर रही है।
तेलंगाना सरकार ने सरकार ने पाम तेल की खेती को बढ़ावा देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता जताई है।
किसानों को ताड़ के तेल की खेती में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था। 2022-23 में 2.5 लाख एकड़ में इसे बढ़ावा देने का इरादा है।
करीब 53,455 एकड़ में खेती की जाने वाली फसल के साथ तेलंगाना देश में पाम तेल क्षेत्र के मामले में छठे स्थान पर है। हालाँकि, यह उत्पादन के मामले में अग्रणी है, प्रति एकड़ 8 टन ताजे फलों के गुच्छों के साथ, साथ ही 2020-21 में 19.22 प्रतिशत की सबसे बड़ी तेल निष्कर्षण दर।
एक अनुमान के अनुसार, राज्य 3.66 लाख टन की मांग की तुलना में लगभग 0.45 लाख टन कच्चे पाम तेल का उत्पादन करता है।
पाम ऑयल के आयात को कम करने के लिए एक अहम मिशन की शुरुआत की है। इस मिशन को राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) नाम दिया गया है। इसके तहत किसानों को पाम यानी ताड़ की खेती के लिए सहायता भी दी जाती है। अब सरकार ने सहायता राशि में इजाफा कर दिया है तो वहीं पौधा रोपने पर आर्थिक मदद की भी बात कही गई है।
पाम की खेती के लिए पहले प्रति हेक्टेयर 12 हजार रुपए दिये जाते थे, जिसे बढ़ाकर 29 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है। इसके अलावा रख-रखाव और फसलों के दौरान भी सहायता में बढ़ोतरी की गई है। पुराने बागों को दोबारा चालू करने के लिए 250 रुपए प्रति पौधा के हिसाब से विशेष सहायता दी जा रही है, यानी एक पौधा रोपने पर 250 रुपए मिलेंगे।